AGR विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया की याचिका पर सुनवाई 13 अक्टूबर तक टाली, DoT की अतिरिक्त मांगों पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया की उस याचिका पर सुनवाई 13 अक्टूबर तक स्थगित कर दी जिसमें कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा लगाए गए अतिरिक्त AGR बकाया को चुनौती दी है। जानें पूरा मामला, कानूनी पृष्ठभूमि और कंपनियों की दलीलें।

AGR विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया की याचिका पर सुनवाई 13 अक्टूबर तक टाली, DoT की अतिरिक्त मांगों पर सवाल

नई दिल्ली, सोमवार — सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की उस याचिका पर सुनवाई 13 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी, जिसमें कंपनी ने दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications – DoT) द्वारा लगाए गए अतिरिक्त एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया की मांगों को चुनौती दी है।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश तब दिया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए, ने सुनवाई को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया। अदालत ने अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले को अगले शुक्रवार, 13 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।


📜 वोडाफोन आइडिया की याचिका में क्या कहा गया?

वोडाफोन आइडिया ने अपनी याचिका में कहा है कि DoT ने जो अतिरिक्त AGR मांगें (demands) जारी की हैं, वे वित्त वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि से संबंधित हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपने अक्टूबर 2019 के ऐतिहासिक निर्णय में निपटा चुका है।

कंपनी का कहना है कि DoT की यह कार्रवाई “अनुचित, मनमानी और न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध” है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा AGR बकाया को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है।

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याचिका में यह भी कहा गया है कि विभाग ने अब तक पूर्ण पुनर्मूल्यांकन (reassessment) नहीं किया है और 3 फरवरी 2020 को जारी ‘Deduction Verification Guidelines’ के अनुसार सभी देयों का समन्वित मूल्यांकन नहीं किया गया है।

वोडाफोन आइडिया ने आरोप लगाया है कि DoT की गणनाओं में गंभीर त्रुटियाँ और दोहराव (duplication) हैं, जिसके चलते एक ही रकम को बार-बार जोड़ा गया है। कंपनी ने मांग की है कि अदालत दूरसंचार विभाग को आदेश दे कि वह सभी बकाया देयों का पुनर्मूल्यांकन करे और वास्तविक देनदारी का निर्धारण करे।


⚖️ पृष्ठभूमि: AGR विवाद क्या है?

AGR विवाद पिछले एक दशक से भारत के दूरसंचार क्षेत्र का सबसे बड़ा कानूनी विवाद रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 को अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि “Adjusted Gross Revenue” (AGR) की गणना में टेलीकॉम कंपनियों की सभी आय (non-core revenue सहित) शामिल की जाएगी।

इस फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस सहित कई कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपये का बकाया निकला।

बाद में, सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को 10 वर्षों में किस्तों में AGR बकाया चुकाने की अनुमति दी थी, जिसके तहत हर साल 10% भुगतान करना था। पहली किस्त की अंतिम तिथि 31 मार्च 2021 तय की गई थी।

हालांकि, जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने AGR गणना में हुई त्रुटियों को सुधारने की अनुमति मांगी थी।


🏛️ वर्तमान याचिका का महत्व

वोडाफोन आइडिया की ताज़ा याचिका इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रश्न उठाती है कि क्या DoT को पहले से तय AGR बकाया के बाद अतिरिक्त मांगें उठाने का अधिकार है, और यदि हाँ, तो क्या टेलीकॉम कंपनियों को उन गणनाओं की जांच या सुधार का समान अवसर मिलना चाहिए।

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यह मामला भविष्य में अन्य टेलीकॉम कंपनियों के लिए भी मिसाल बन सकता है, क्योंकि अधिकांश ऑपरेटर DoT की गणनाओं में असंगतियों का हवाला देते हुए राहत की मांग कर चुके हैं।


📅 अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को

अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर 2025 को तय की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या केंद्र सरकार और वोडाफोन आइडिया के बीच AGR बकाया के पुनर्मूल्यांकन पर कोई ठोस समाधान निकलता है, या फिर सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर इस विवाद की संवैधानिक सीमाओं को परिभाषित करेगा।


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