Madras High Court का ऐतिहासिक फैसला: क्रिप्टोकरेंसी एक संपत्ति है, निवेशक को Section 9 के तहत सुरक्षा का अधिकार

Madras High Court ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी एक “संपत्ति” है जो ट्रस्ट में रखी जा सकती है, भले ही वह न तो मुद्रा हो और न ही मूर्त संपत्ति। WazirX प्लेटफॉर्म पर XRP कॉइन्स फ्रीज़ होने के मामले में अदालत ने निवेशक को अंतरिम सुरक्षा देने का आदेश दिया।


⚖️ Madras High Court का ऐतिहासिक फैसला: “क्रिप्टोकरेंसी एक संपत्ति है, निवेशक को Section 9 के तहत सुरक्षा का अधिकार”

Madras High Court ने माना कि क्रिप्टोकरेंसी संपत्ति है, WazirX विवाद में निवेशक को अंतरिम सुरक्षा मिली

Madras High Court ने एक अहम आदेश में कहा कि “क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)” भले ही न तो मूर्त संपत्ति है और न ही वैधानिक मुद्रा, परंतु यह ऐसी संपत्ति है जिसे आनंदित, नियंत्रित और ट्रस्ट में रखा जा सकता है। न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश (Justice N. Anand Venkatesh) की एकल पीठ ने Rhutikumari v. Zanmai Labs Pvt. Ltd. (WazirX) मामले में यह निर्णय देते हुए कहा कि निवेशक Arbitration and Conciliation Act, 1996 की धारा 9 के तहत अंतरिम सुरक्षा की हकदार हैं।


🧾 पृष्ठभूमि: XRP कॉइन्स फ्रीज़ होने पर अदालत की शरण में पहुंची निवेशक

आवेदिका ने WazirX प्लेटफॉर्म पर ₹1,98,516 का निवेश कर 3,532.30 XRP कॉइन्स खरीदे थे। ये कॉइन्स Zanmai Labs Pvt. Ltd. (जो WazirX का भारतीय ऑपरेटर है) की अभिरक्षा में थे। जनवरी 2024 में प्लेटफॉर्म पर एक साइबर अटैक हुआ जिसमें $230 मिलियन (USD) मूल्य के Ethereum और ERC-20 टोकन चोरी हो गए। इस घटना के बाद, आवेदिका का खाता फ्रीज़ कर दिया गया, जिससे वह अपने XRP कॉइन्स को बेच या निकाल नहीं सकीं।

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कंपनी का कहना था कि WazirX की संरचना Binance के तकनीकी नियंत्रण में थी, जो 2023 में अलग हो गया था। बाद में Zettai Pte. Ltd. (सिंगापुर) ने प्लेटफॉर्म का नियंत्रण अपने हाथ में लिया और Liminal Infrastructure के माध्यम से डिजिटल वॉलेट प्रबंधन शुरू किया। जुलाई 2024 में एक और साइबर अटैक हुआ, जिससे $234 मिलियन मूल्य की क्रिप्टो संपत्ति चोरी हुई।

Zettai ने अपने उपयोगकर्ताओं के लिए Singapore Companies Act के तहत पुनर्गठन योजना (Scheme of Arrangement) प्रस्तुत की, जिसे Singapore High Court ने 13 अक्टूबर 2025 को स्वीकृत किया। कंपनी ने कहा कि सभी निवेशकों को प्रो-राटा आधार पर भुगतान किया जाएगा।


⚖️ आवेदिका का पक्ष

आवेदिका का कहना था कि—

  • उसका निवेश भारत में, चेन्नई से किया गया था
  • उसने Kotak Mahindra Bank (India) से धन ट्रांसफर किया था।
  • उसके पास जो XRP कॉइन्स थे, वे ERC-20 टोकन्स से अलग थे और साइबर हमले से प्रभावित नहीं हुए थे।
  • कंपनी ने बिना कारण उसका खाता फ्रीज़ कर उसकी संपत्ति तक पहुँच रोक दी।

इसलिए, उसने अदालत से अंतरिम सुरक्षा (interim protection) की मांग की ताकि उसकी डिजिटल संपत्ति सुरक्षित रहे जब तक कि मध्यस्थता की कार्यवाही पूरी न हो।


⚖️ अदालत का विश्लेषण और फैसला

न्यायालय ने कहा कि—

“इसमें कोई संदेह नहीं कि क्रिप्टोकरेंसी एक संपत्ति है। यह मुद्रा नहीं है और न ही मूर्त वस्तु, परंतु यह ऐसी संपत्ति है जो स्वामित्व और ट्रस्ट में रखे जाने योग्य है।”

अदालत ने माना कि निवेशक के XRP कॉइन्स साइबर हमले से प्रभावित नहीं हुए थे, इसलिए उनका नुकसान अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। यह तय किया जाना बाकी है कि क्या एक उपयोगकर्ता की संपत्ति को दूसरे की गलती से घटाया जा सकता है।

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न्यायालय ने Bombay High Court के फैसले Zanmai Labs Pvt. Ltd. v. Bitcipher Labs LLP का हवाला देते हुए कहा कि डिजिटल संपत्ति भी ट्रस्ट में रखी जा सकती है, और एक्सचेंज ऑपरेटरों का अपने उपयोगकर्ताओं के प्रति फिड्यूशियरी दायित्व होता है।


🧩 भारतीय कानून और क्रिप्टो संपत्ति

अदालत ने Internet & Mobile Association of India v. RBI (2020) के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि:

“भारत में क्रिप्टो संपत्ति को Virtual Digital Asset (VDA) माना जाता है और इसे Income Tax Act, 1961 की धारा 2(47A) के तहत विनियमित किया गया है।”

इस प्रकार, यह कोई सट्टा लेनदेन नहीं, बल्कि एक वर्चुअल संपत्ति का अधिकार (property right) है।


🏛️ निष्कर्ष और आदेश

Madras High Court ने माना कि—

  • क्रिप्टो संपत्ति ट्रस्ट में रखी जा सकती है;
  • आवेदिका के पास अधिकार है कि वह अपने निवेश की सुरक्षा मांग सके;
  • Section 9, Arbitration and Conciliation Act, 1996 के तहत अंतरिम सुरक्षा उचित है।

अदालत ने कंपनी को निर्देश दिया कि वह या तो—

  1. ₹9,56,000 की बैंक गारंटी आवेदिका के पक्ष में जमा करे, या
  2. उतनी ही राशि एस्क्रो अकाउंट में जमा करे,
    जब तक कि मध्यस्थता की कार्यवाही पूरी न हो जाए।

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