सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि राजनीतिक दलों पर POSH Act, 2013 लागू नहीं होगा। अदालत ने कहा कि दलों और उनके सदस्यों के बीच नियोक्ता-कर्मचारी संबंध नहीं है, इसलिए आंतरिक शिकायत समिति (ICC) गठित करने की बाध्यता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई याचिका: राजनीतिक दलों पर POSH कानून लागू करने से इंकार
पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ—CJI बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर—ने एक स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) को खारिज कर दिया। इस याचिका में यह मांग की गई थी कि राजनीतिक दलों को POSH Act, 2013 के तहत लाया जाए और उन्हें Internal Complaints Committee (ICC) गठित करने के लिए बाध्य किया जाए।
यह याचिका केरल हाई कोर्ट के 2022 के उस फैसले के खिलाफ थी, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक दलों के सदस्यों के बीच नियोक्ता-कर्मचारी संबंध नहीं है, इसलिए उन पर POSH कानून लागू नहीं होता।
केरल हाई कोर्ट का निर्णय
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि:
- यदि कोई संगठन 10 या उससे अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करता है, तो POSH Act के तहत ICC गठित करना अनिवार्य है।
- “Employer” की परिभाषा में सरकारी विभाग, निजी संस्थान और गैर-सरकारी संगठन आते हैं।
- लेकिन राजनीतिक दल नौकरी देने वाले संगठन की श्रेणी में नहीं आते और न ही वे workplace की कानूनी परिभाषा में फिट बैठते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
15 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
इस प्रकार, याचिका खारिज कर दी गई और यह स्थिति बनी रही कि राजनीतिक दलों को POSH Act के अंतर्गत ICC गठित करने की बाध्यता नहीं है।
मामला: Yogamaya v. State of Kerala, SLP (Civil) Diary No(s). 47381/2025, निर्णय दिनांक: 15-09-2025
📌 Explainer Box: POSH Act और ICC क्या है?
POSH Act, 2013
- पूरा नाम: The Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013
- उद्देश्य: कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से सुरक्षा, रोकथाम और निवारण।
Internal Complaints Committee (ICC)
- हर संस्थान/कंपनी जहां 10 या अधिक कर्मचारी हों, वहां ICC का गठन अनिवार्य।
- इसमें एक महिला प्रेसीडिंग ऑफिसर, कम से कम 2 कर्मचारी सदस्य और एक NGO या महिला अधिकार कार्यकर्ता शामिल होना चाहिए।
- यह समिति उत्पीड़न की शिकायतों की जांच कर 90 दिनों में रिपोर्ट देती है।
राजनीतिक दल क्यों बाहर हैं?
- राजनीतिक दलों और उनके सदस्यों के बीच नौकरी का रिश्ता नहीं होता।
- इसलिए वे “Employer-Employee” मॉडल पर आधारित POSH कानून के दायरे में नहीं आते।
👉 यह फैसला भारत में राजनीतिक संगठनों की संरचना और यौन उत्पीड़न कानून की सीमाओं पर एक अहम न्यायिक मिसाल है।
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