दिल्ली कोर्ट ने विवेक कुमार की संदिग्ध मौत पर FIR दर्ज करने का आदेश दिया, पुलिस को फटकार

📄 दिल्ली कोर्ट ने 23 वर्षीय विवेक कुमार की संदिग्ध मौत पर पांच साल बाद FIR दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि मामले में हत्या का संज्ञेय अपराध साफ झलकता है।

दिल्ली कोर्ट ने विवेक कुमार की संदिग्ध मौत पर FIR दर्ज करने का आदेश दिया, पुलिस को फटकार

करीब पांच साल बाद, 23 वर्षीय ऑटो चालक विवेक कुमार की संदिग्ध मौत के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने इस मामले में कार्रवाई न करने के लिए पुलिस की कड़ी आलोचना की।

यह आदेश पीड़ित के पिता रामेश्वर दयाल की याचिका पर आया, जिन्होंने कई बार नई अशोक नगर थाना पुलिस को शिकायत दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। दयाल की ओर से अधिवक्ता अमरेश आनंद ने पैरवी की।

मामला क्या है?

1 नवंबर 2020 को विवेक कुमार को उसके ऑटो मालिक अनिल ने बुलाया था। इसके बाद वह लापता हो गया। बाद में उसका शव दिल्ली जल बोर्ड के कोंडली सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण डूबने से हुई दम घुटने (Asphyxia due to drowning) को बताया गया।

हालांकि सीसीटीवी फुटेज में विवेक के साथ झगड़ा (scuffle) साफ दिखाई दे रहा था, फिर भी पुलिस ने “कोई संदेहास्पद पहलू नहीं” बताते हुए मामला दर्ज नहीं किया।

अदालत की टिप्पणी

एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मयंक गोयल ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) फैसले का हवाला देते हुए कहा कि तथ्य साफ तौर पर हत्या जैसे संज्ञेय अपराध की ओर इशारा करते हैं।

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अदालत ने यह भी पाया कि जांच अधिकारियों ने “पूर्वाग्रहपूर्ण मानसिकता” के साथ रिपोर्टें दाखिल कीं और शिकायतकर्ता के साक्ष्यों की अनदेखी की।

FIR दर्ज करने का निर्देश

मजिस्ट्रेट ने न केवल संबंधित एसएचओ को बिना देरी एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, बल्कि डीसीपी (ईस्ट) को भी निर्देश दिया कि सभी एसीपी और एसएचओ को संवेदनशील बनाया जाए, ताकि मानव जीवन से जुड़े मामलों में त्वरित एफआईआर दर्ज की जाए।

इस आदेश के साथ, विवेक कुमार की मौत के लगभग पांच साल बाद अब आखिरकार एफआईआर दर्ज की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर 2025 को होगी।


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