वेस्ट बंगाल में मदरसा शिक्षक भर्ती घोटाला, उच्च न्यायालय ने 70 हजार जुर्माना लगा कर, कहा बन्द देंगे-

वेस्ट बंगाल West Bengal के सरकारी स्कूलों में मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली के मामले उजागर हुए हैं.

न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए इस पर तीखी नाराजगी जाहिर की और कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो मदरसों Madrasa को बंद करवा देंगे.

कलकत्ता हाई कोर्ट Calcutta High Court ने मदरसा कमीशन पर 70 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. इस रुपए को इन सभी आवेदनकारियों में 10-10 हजार के हिसाब से बांटना होगा.

ज्ञात हो कि इसके पहले एसएससी के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती में घोटाला सामने आया था और अब मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति में भी धांधली सामने आई है.

गौरतलब है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद एसएससी भर्ती मामले में सीबीआई ने मंत्री पार्थ चटर्जी और मंत्री परेश चंद्र अधिकारी से पूछताछ की थी. फर्जी रूप से नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों की नियुक्ति भी रद्द कर दी थी.

मदरसा शिक्षक नियुक्ति में धांधली का लगा आरोप-

सन 2010 में मदरसा कमीशन रूल के मुताबिक विशेष प्रशिक्षण प्राप्त लोगों को नियुक्ति में प्राथमिकता देने की बात कही गई है. 2014 की छह फरवरी को मदरसा शिक्षक नियुक्ति की विज्ञप्ति जारी हुई थी. आरोप है कि इसके तहत जो नियुक्ति हुई है उसमें विशेष प्रशिक्षण प्राप्त लोगों को नियुक्ति का मौका ही नहीं दिया गया है. अकमल हुसैन सहित सात प्रशिक्षण प्राप्त लोगों ने न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग कर याचिका लगाई है.

इसी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि भविष्य में नियुक्तियों में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त लोगों को प्राथमिकता देनी होगी.

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शिक्षक नियुक्ति में भ्रष्टाचार मामले की सीबीआई कर रही है जांच-

जानकारी हो कि हाल में हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की सुनवाई में रूटीन तबादला किया गया था. उसी के मुताबिक मदरसा शिक्षा से संबंधित मामलों की सुनवाई न्यायमूर्ति गांगुली की पीठ में हो रही है.

इसके पहले स्कूल सेवा आयोग के जरिए हुई शिक्षक नियुक्ति में भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति गांगुली करते थे. उन्होंने ऐसे आठ मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.

बता दें कि आज ही न्यायाधीश ने एसएससी भर्ती में सीबीआई जांच के आदेश पर सीबीआई जांच की प्रगति पर निराशा जताई थी. उन्होंने हताशा जताते हुए कहा था कि इससे अच्छा होता कि एसआईटी ने पूरे मामले की जांच करती.