एससी का फैसला: बैलेंस शीट में ऋण की पावती मान्य, IFIN का दिवाला आवेदन समयसीमा के भीतर

SC verdict: Acknowledgement of loan in balance sheet valid, IFIN’s insolvency application within time limit

यह फैसला कॉर्पोरेट दिवाला कानून की व्याख्या में एक महत्वपूर्ण नज़ीर स्थापित करता है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि बैलेंस शीट में ऋण की प्रविष्टियाँ भी वैध पावती हो सकती हैं, बशर्ते वे निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित और सार्वजनिक रिकॉर्ड में दर्ज हों।

सुप्रीम कोर्ट ने आईएल एंड एफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IFIN) द्वारा आधुनिक मेघालय स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के प्रयासों को नया जीवन देते हुए एनसीएलटी और एनसीएलएटी के निर्णयों को रद्द कर दिया है।

न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट किया कि कंपनी की वित्त वर्ष 2019-20 की बैलेंस शीट Balence Sheet में किया गया ऋण का उल्लेख सीमा अधिनियम, 1963 Limitation Act, 1963 की धारा 18 के तहत वैध पावती माना जाएगा, जिससे परिसीमा अवधि का विस्तार होता है।

क्या था मामला?

IFIN ने 27 फरवरी 2015 को आधुनिक मेघालय स्टील्स को ₹30 करोड़ का ऋण दिया था, जो 01 मार्च 2018 को एनपीए घोषित हो गया। IFIN ने 15 जनवरी 2024 को IBC की धारा 7 के तहत आवेदन दाखिल किया, जिसमें ₹55.45 करोड़ की चूक बताई गई थी।

पूर्व में एनसीएलटी और एनसीएलएटी दोनों ने माना कि आवेदन सीमा अवधि से बाहर था, यह तर्क देते हुए कि वित्तीय विवरणों में ऋणदाता का नाम स्पष्ट नहीं था। इन निर्णयों के विरुद्ध IFIN ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि:

  • वित्त वर्ष 2019-20 की बैलेंस शीट, जिसे 12 अगस्त 2020 को निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित किया गया और कंपनी रजिस्ट्रार के पास दाखिल किया गया, ऋण की वैध स्वीकृति के रूप में मानी जाएगी।
  • यह स्वीकृति सीमा अधिनियम की धारा 18 के तहत आती है, जिससे नई परिसीमा अवधि 11 अगस्त 2023 तक बढ़ जाती है।
  • इसके अलावा, कोविड-19 काल के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश (दिनांक 10-01-2022) के तहत 15 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2022 की अवधि को सीमा गणना से बाहर रखा गया, जिससे नवीन परिसीमा अवधि 28 फरवरी 2025 तक बढ़ गई
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न्यायालय ने यह भी कहा कि बैलेंस शीट में प्रविष्टियाँ, पूर्व वर्षों के वित्तीय दस्तावेजों के साथ मिलकर, ऋण के अस्तित्व की स्पष्ट स्वीकृति प्रदर्शित करती हैं।

निष्कर्ष

चूंकि IFIN का आवेदन 15 जनवरी 2024 को दाखिल किया गया था, यह नई परिसीमा सीमा के भीतर था। अतः सुप्रीम कोर्ट ने NCLT और NCLAT दोनों के फैसलों को खारिज कर दिया और मामले को NCLT को पुनर्विचार के लिए भेजा।

IFIN बनाम आधुनिक मेघालय स्टील्स प्रा. लि.,

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