लद्दाख के पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में NSA के तहत गिरफ्तारी को दी चुनौती

सोनम वांगचुक की पत्नी गितांजलि एंग्मो ने सुप्रीम कोर्ट में संशोधित याचिका दायर कर कहा कि उनके पति की NSA के तहत गिरफ्तारी शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने और लद्दाख की स्वायत्तता की मांग को कुचलने की राजनीतिक साज़िश है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा।


लद्दाख के पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में NSA के तहत गिरफ्तारी को दी चुनौती

⚖️ सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, पत्नी ने कहा — “शांतिपूर्ण आवाज़ को कुचलने की कोशिश”

नई दिल्ली, अक्टूबर 2025:
लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की पत्नी गितांजलि जे. एंग्मो ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधित याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA), 1980 के तहत की गई गिरफ्तारी को गैर-कानूनी और प्रतिशोधात्मक कदम बताया है।

याचिका में एंग्मो ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उनके पति की शांतिपूर्ण गतिविधियों और लद्दाख की संवैधानिक स्वायत्तता की मांग को दबाने के लिए NSA का दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तारी “राजनीतिक प्रतिशोध” का हिस्सा है और इसका कोई वास्तविक सुरक्षा आधार नहीं है।


🧾 याचिका में क्या कहा गया

गितांजलि एंग्मो की याचिका में कहा गया है कि वांगचुक के खिलाफ सरकार की कार्रवाई की एक श्रृंखला — जिसमें उनकी NGO का FCRA लाइसेंस रद्द करना, भूमि पट्टा निरस्त करना, CBI जांच शुरू करना, और आयकर विभाग के समन भेजना शामिल हैं — यह दर्शाता है कि यह एक सुनियोजित उत्पीड़न अभियान है।

एंग्मो ने बताया कि ये सभी कार्रवाइयाँ लोकसभा चुनावों से ठीक पहले और लद्दाख की स्वायत्तता पर गृह मंत्रालय और लेह की एपेक्स बॉडी (ABL) के बीच अंतिम वार्ता से पहले शुरू हुईं।

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📑 FIRs का हवाला और कानूनी तर्क

NSA के तहत की गई इस गिरफ्तारी के औचित्य में अधिकारियों ने पांच FIRs का हवाला दिया है।
लेकिन एंग्मो का कहना है कि —

  • इनमें से तीन FIRs में वांगचुक का नाम नहीं है,
  • दो FIRs अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज हैं,
  • और सिर्फ एक FIR में उनका नाम है, जो लेह में हुई हिंसा से जुड़ी नहीं है

उन्होंने यह भी कहा कि 24 सितंबर की झड़पें, जिनमें चार लोगों की मौत हुई और करीब 90 घायल हुए, वांगचुक से जोड़ने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है

एंग्मो ने जोर देकर कहा कि उनके पति की गतिविधियों और कथित अशांति के बीच कोई तार्किक या प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वांगचुक ने कभी भी लद्दाख की स्वतंत्रता या अलग राज्य की मांग नहीं की।

“वांगचुक का आंदोलन केवल लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule) के अंतर्गत लाने की मांग से जुड़ा है — ताकि जनजातीय और पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता मिल सके,” याचिका में कहा गया।


🌍 राष्ट्रहित में योगदान और अदालत की कार्रवाई

एंग्मो ने सुप्रीम कोर्ट को याद दिलाया कि वांगचुक के नवाचार जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात भारतीय सैनिकों के लिए सोलर-हीटेड शेल्टर, पर्यावरणीय स्थिरता और राष्ट्र निर्माण के प्रतीक हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति को सुरक्षा खतरे के रूप में पेश करना न्याय और संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया की पीठ ने एंग्मो को संशोधित याचिका दाखिल करने की अनुमति दी और केंद्र सरकार को दस दिनों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 24 नवंबर 2025 तय की है।

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⚖️ संवैधानिक प्रश्न और व्यापक प्रभाव

यह मामला केवल वांगचुक की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह निरोधात्मक हिरासत (Preventive Detention) कानूनों जैसे NSA के दुरुपयोग और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Free Speech) के अधिकार के बीच के संघर्ष को उजागर करता है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सरकार की कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठाता है, तो यह फैसला भविष्य में कार्यकर्ताओं और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण न्यायिक मिसाल (judicial precedent) बन सकता है।


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