Attack on army officer: Supreme Court approves CBI investigation, says dignity of uniformed personnel is paramount
विधि संवाददाता
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब पुलिस द्वारा एक कार्यरत आर्मी कर्नल पर कथित हमले के मामले में CBI जांच को मंजूरी देते हुए पंजाब सरकार की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने सेना की गरिमा और अनुशासन की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा कि वर्दीधारियों के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति CJI बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि अनुशासनात्मक कार्रवाई और आपराधिक उत्तरदायित्व दोनों साथ-साथ चलने चाहिए, जब बात सशस्त्र बलों की गरिमा के उल्लंघन की हो।
🛡️ क्या है मामला?
मार्च 2024 में पंजाब के संगरूर जिले में कानून-व्यवस्था से जुड़े एक स्थानीय मामले में सेना के कर्नल रजनीश गिल, जो एक फील्ड यूनिट में तैनात थे, ने आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप किया था।
हालांकि, इसके बावजूद पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने उन्हें कथित रूप से गाड़ी से घसीटकर बाहर निकाला, गाली-गलौच और मारपीट की, और रातभर हिरासत में रखा, जबकि कर्नल ने खुद की पहचान स्पष्ट रूप से दी और सर्विस कार्ड Service Card भी दिखाया।
🧾 CBI जांच की पृष्ठभूमि
मामले की गंभीरता को देखते हुए रक्षा मंत्रालय और सेना ने प्रारंभिक जांच के बाद केंद्र सरकार को अवगत कराया।
केंद्र सरकार ने CBI को जांच सौंपने का निर्णय लिया, यह कहते हुए कि स्थानीय पुलिस की निष्पक्षता संदिग्ध है, क्योंकि आरोप उन्हीं के कर्मियों पर हैं।
इसके खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें दलील दी गई कि यह एक “छोटी घटना” है और राज्य स्तर पर आंतरिक जांच पहले से जारी है।
परंतु, सुप्रीम कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि ऐसे मामलों में निष्पक्षता सर्वोपरि है, खासकर जब आरोप सरकारी शक्ति के दुरुपयोग और सेना के अपमान से जुड़े हों।
⚖️ कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान CJI न्यायमूर्ति गवई ने कहा:
“हम अपनी शांत नींद सेना की निरंतर सेवा के कारण ले पाते हैं। उनके साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार असहनीय है।”
“सेना देश की रीढ़ है। यदि हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो यह राष्ट्रीय एकता और अनुशासन पर सीधा प्रहार है।”
🕵️♂️ CBI को जांच जारी रखने के निर्देश
कोर्ट ने CBI को निर्देश दिया कि वह FIR, फॉरेंसिक साक्ष्य और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से पूछताछ सहित समस्त जांच तत्काल आगे बढ़ाए।
साथ ही, चार सप्ताह के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा गया।
🇮🇳 संदेश व्यापक है
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिर्फ एक अधिकारी का नहीं, बल्कि पूरे सशस्त्र बलों Whole Armed Forces की गरिमा और संवैधानिक अनुशासन का है।
जब राज्य की एजेंसियां ही वर्दीधारी अधिकारियों पर हमला करें, तो यह व्यवस्था के मूल ढांचे को चुनौती देने जैसा है।
