‘Udaipur Files’ film controversy: Supreme Court hands over the matter to Delhi High Court
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बहुचर्चित फ़िल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज़ और प्रमाणन को लेकर दायर याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट के पास भेजते हुए मामला वहीं निपटाने का निर्देश दिया है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने इस मामले के गुण-दोष पर कोई राय देने से इनकार करते हुए कहा कि जब पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को सभी पक्षकारों की बात सुनकर निर्णय लेने का आदेश दिया था, तो इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर फैसला देना व्यावहारिक रूप से कठिन होगा।
दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के तहत, केंद्र सरकार ने 21 जुलाई को फिल्म के प्रदर्शन को सशर्त अनुमति प्रदान की, जिसमें कुछ आवश्यक संशोधन करने की सिफारिश भी की गई थी।
अब, कुछ याचिकाकर्ता केंद्र सरकार के इसी 21 जुलाई के आदेश को चुनौती दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में, सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि फ़िल्म के प्रदर्शन के विरोध में उठाई जा रही आपत्तियाँ अब दिल्ली हाईकोर्ट में ही उठाई जानी चाहिए, क्योंकि वही उपयुक्त मंच है।
कोर्ट ने मामला औपचारिक रूप से बंद करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह इसे सोमवार को सूचीबद्ध करे।
🔸 सुनवाई के दौरान प्रस्तुतियाँ:
- फिल्म निर्माताओं की ओर से सीनियर अधिवक्ता गौरव भाटिया ने प्रस्तुत किया कि उनका अनुरोध, जिसमें फिल्म पर लगे स्थगन को हटाने की मांग की गई थी, अब निष्प्रभावी हो चुका है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, फ़िल्म को संशोधन सहित रिलीज़ की अनुमति मिल चुकी है और निर्माता उन निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
- दूसरी ओर, मौलाना अरशद मदनी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार के 21 जुलाई के आदेश को संविधान के अनुच्छेद 32 Article 32 के तहत चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दाखिल की गई है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि चूंकि इसी विषय पर पहले से दिल्ली हाईकोर्ट में मामला लंबित है, इसलिए नई रिट याचिका को भी वहीं स्थानांतरित किया जाए।
