सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा – ‘बलवंत सिंह राजोआना को अब तक फाँसी क्यों नहीं हुई?’

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि 1995 में पंजाब के CM बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना को अब तक फाँसी क्यों नहीं दी गई।

कोर्ट ने कहा – दया याचिका पर 2012 से कोई निर्णय नहीं, अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा – ‘बलवंत सिंह राजोआना को अब तक फाँसी क्यों नहीं हुई?’

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा कि 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना को अब तक फाँसी क्यों नहीं दी गई। अदालत ने केंद्र से दो टूक कहा, “कम से कम हमने तो फाँसी पर रोक नहीं लगाई थी।”

मामला क्या है?

राजोआना को चंडीगढ़ में 31 अगस्त 1995 को हुए बम धमाके में बेअंत सिंह की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उन्हें 2007 में फाँसी की सजा सुनाई गई, जिसे 2010 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा।

2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने उनकी ओर से राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी, जिस पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनवाई के दौरान केंद्र से सवाल किया:

“आपने अब तक फाँसी क्यों नहीं दी? इसमें देरी के लिए जिम्मेदार कौन है?”

राजोआना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि दया याचिका 2012 से लंबित है और उनके मुवक्किल 15 साल से डेथ रो सेल में हैं, जिनमें कई साल उन्होंने एकांत कारावास में गुजारे।

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केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने कहा कि वह इस मामले पर सरकार से निर्देश लेकर स्थिति अदालत को बताएंगे।

पृष्ठभूमि

  • 2019 में गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर केंद्र ने राजोआना की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय लिया था, पर इसे अब तक लागू नहीं किया गया।
  • मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फाँसी की सजा बरकरार रखी थी, लेकिन केंद्र को दया याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
  • राजोआना ने अब तक लगभग 29 साल जेल में गुजारे हैं, जिनमें 17 साल वह डेथ रो कैदी के रूप में रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को तय की है और साफ कहा है कि यह सुनवाई केंद्र की मांग पर आगे नहीं टाली जाएगी।


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