Supreme Court said: Applying POSH law on political parties is a matter of policy, Parliament should decide
राजनीतिक दलों पर POSH कानून लागू करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज, कोर्ट बोला – संसद का विषय
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: राजनीतिक दलों पर यौन उत्पीड़न कानून लागू करना नीति का मामला, संसद तय करे
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी, जिसमें मांग की गई थी कि सभी राजनीतिक दलों पर कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संरक्षण कानून, 2013 (POSH Act) को लागू किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश CJI B.R. Gavai और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह विषय नीति निर्धारण से जुड़ा है और संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
“यह संसद का विषय है। हम इसमें कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं? यह नीति का मामला है,” — CJI गवई ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट शोभा गुप्ता से कहा।
🧾 याचिका में क्या मांग की गई थी?
यह याचिका अधिवक्ता योगमाया एम. जी. द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि:
- अधिकांश राजनीतिक दल POSH कानून का पालन नहीं करते, खासकर आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन नहीं करते हैं।
- POSH अधिनियम की धारा 4 के तहत सभी राजनीतिक दलों को ICC गठित करने का निर्देश दिया जाए।
- POSH अधिनियम की धारा 2(f) के तहत राजनीतिक गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों को भी “कर्मचारी” माना जाए।
- चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि राजनीतिक दलों के पंजीकरण और मान्यता के लिए POSH कानून के अनुपालन को अनिवार्य शर्त बनाया जाए।
⚖️ कोर्ट का दृष्टिकोण
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को इसे वापस लेने की अनुमति दी, यह कहते हुए कि:
“यह ऐसा विषय है, जिस पर संसद को निर्णय लेना चाहिए। अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहें, तो केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकते हैं, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक दलों पर POSH अधिनियम लागू नहीं होता।
🧑⚖️ किन राजनीतिक दलों को बनाया गया था पक्षकार?
याचिका में निम्नलिखित प्रमुख दलों को उत्तरदाता बनाया गया था:
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
- भारतीय जनता पार्टी (BJP)
- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)
- तृणमूल कांग्रेस (TMC)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)
- नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)
- आम आदमी पार्टी (AAP)
- बहुजन समाज पार्टी (BSP)
📌 निष्कर्ष
यह मामला इस सवाल को उठाता है कि क्या राजनीतिक दलों को “कार्यस्थल” माना जा सकता है, और क्या उनसे भी POSH कानून के तहत जवाबदेही की उम्मीद की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, इस सवाल का जवाब कानूनी या संवैधानिक नीति निर्धारण से जुड़ा है, जिसे संसद को संबोधित करना चाहिए, न कि न्यायालय को।
