तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई स्थायी भरण-पोषण राशि, ₹50 लाख एकमुश्त अलॉट

Supreme Court increases permanent maintenance amount in divorce case, allots ₹50 lakh lump sum

तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई स्थायी भरण-पोषण राशि, ₹50 लाख एकमुश्त अलॉट

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक मामले में पत्नी की स्थायी भरण-पोषण राशि ₹15 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख एकमुश्त तय की। कोर्ट ने पति की क्षमता और पत्नी की योग्यता को ध्यान में रखा।

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए पत्नी को दी जाने वाली स्थायी भरण-पोषण राशि को ₹15 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख एकमुश्त कर दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पत्नी भले ही बेरोजगार होने का दावा करती हो, लेकिन वह उच्च शिक्षित है और खुद को संभालने में सक्षम है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने कहा:

“भरण-पोषण तय करते समय कई कारकों पर विचार करना आवश्यक है। पति की क्षमता और पत्नी की आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना ज़रूरी है। पति अधिक राशि देने में सक्षम है, वहीं पत्नी उच्च शिक्षित है और आत्मनिर्भर बन सकती है।”


📌 प्रकरण की पृष्ठभूमि:

  • विवाह: वर्ष 2009
  • 2011 में पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(a) के तहत मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक याचिका दायर की।
  • 2014 में पत्नी ने धारा 24 HMA के तहत भरण-पोषण की मांग की — फैमिली कोर्ट ने ₹10,000 प्रति माह दिए, जिसे हाईकोर्ट ने बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया।
  • 2015 में फैमिली कोर्ट ने तलाक डिक्री जारी की और ₹15 लाख स्थायी भरण-पोषण तय किया।
  • हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा।
  • पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।
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📌 सुप्रीम कोर्ट का तर्क:

  • पति पेशे से डॉक्टर, मासिक आय लगभग ₹1.4 लाख।
  • पत्नी के पास M.Tech (कंप्यूटर साइंस) और LL.B. डिग्री, वर्तमान में बेरोजगार होने का दावा।
  • पत्नी ने पति की संपत्ति क्रय (2010) का भी उल्लेख किया।
  • अदालत ने माना कि पत्नी आर्थिक संकट में नहीं है लेकिन भविष्य की सुरक्षा आवश्यक है।
  • संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए, अदालत ने Alimony ₹50 लाख एकमुश्त स्थायी भरण-पोषण निर्धारित किया।

अदालत ने कहा कि यह राशि पत्नी को भविष्य के लिए सुरक्षित करेगी और उसके जीवनस्तर को बनाए रखेगी।


Cause Title: A v. B
Neutral Citation: 2025 INSC 994

वकील:

  • अपीलकर्ता (पत्नी) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शांतकुमार वी. महाले
  • प्रतिवादी (पति) की ओर से एओआर मृगांक प्रभाकर

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