Supreme Court guidelines on student mental health: Mandatory registration and monitoring of rules for coaching institutes
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर ऐतिहासिक आदेश पारित करते हुए स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों के लिए 15 बाध्यकारी दिशानिर्देश जारी किए।
यह फैसला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने दिया।
⚖️ प्रकरण की पृष्ठभूमि:
यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित हुआ जो एक छात्रा के पिता ने दायर की थी। उनकी बेटी की मृत्यु जुलाई में विशाखापत्तनम स्थित आकाश बायजूस कोचिंग सेंटर के छात्रावास की छत से गिरने के बाद हुई थी। मृत्यु की परिस्थितियाँ संदिग्ध थीं और छात्रा NEET की तैयारी कर रही थी।
📋 सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित प्रमुख दिशानिर्देश:
- राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया है कि वे दो महीने के भीतर:
- निजी कोचिंग संस्थानों के पंजीकरण,
- छात्र सुरक्षा मानदंड,
- और शिकायत निवारण तंत्र के लिए नियम अधिसूचित करें।
- प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति गठित की जाएगी जो:
- निरीक्षण करेगी,
- शिकायतों का समाधान करेगी,
- और इन संस्थानों पर निगरानी रखेगी।
- भारत सरकार को 90 दिनों में एक अनुपालन हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें ये बिंदु शामिल हों:
- दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन की स्थिति,
- राज्यों के साथ समन्वय,
- निगरानी तंत्र की प्रगति,
- और नेशनल टास्क फोर्स की रिपोर्ट की समय-सीमा।
🧠 मानसिक स्वास्थ्य के लिए विशेष निर्देश:
- सभी शैक्षणिक संस्थान यह सुनिश्चित करें कि:
- छात्र-परामर्शदाता अनुपात (student-to-counsellor ratio) आदर्श हो।
- प्रत्येक छोटे समूह के छात्रों को समर्पित सलाहकार/मेंटर्स नियुक्त किए जाएं।
- विशेष रूप से परीक्षा अवधि और शैक्षणिक बदलावों के समय इन छात्रों को गोपनीय, सतत और अनौपचारिक समर्थन उपलब्ध कराया जाए।
📌 न्यायालय की टिप्पणी:
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब तक इस विषय पर कोई उचित विधायी या नियामक व्यवस्था नहीं बनती, तब तक ये दिशानिर्देश बाध्यकारी रूप से लागू रहेंगे।
⚠️ संदर्भ और महत्व:
- भारत में कोचिंग संस्थानों और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के बढ़ते दबाव के बीच छात्र आत्महत्याओं की घटनाएं चिंता का विषय बनी हुई हैं।
- सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप मानवाधिकार, शिक्षा अधिकार और मानसिक स्वास्थ्य अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने का एक गंभीर प्रयास है।
