ED ने Reliance Power के CFO अशोक कुमार पाल को फर्जी बैंक गारंटी मामले में दो दिन की रिमांड पर लिया
Reliance Power के CFO अशोक कुमार पाल को Enforcement Directorate (ED) ने फर्जी बैंक गारंटी और फंड डायवर्जन मामले में गिरफ्तार किया। कोर्ट ने दो दिन की ED रिमांड दी और आरोपी की सुरक्षा व वकील से मिलने की अनुमति तय की।
Reliance Power के CFO अशोक कुमार पाल ED की दो दिन की रिमांड पर, कोर्ट ने गिरफ्तारी को लेकर दी अहम टिप्पणियां
दिल्ली की एक विशेष अदालत ने Reliance Power Limited के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अशोक कुमार पाल को Enforcement Directorate (ED) की हिरासत में दो दिन के लिए भेज दिया है।
यह मामला फर्जी बैंक गारंटी और फंड डायवर्जन से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों रुपये के गबन का आरोप है।
कोर्ट में पेशी और रिमांड आदेश
स्पेशल जज किरण गुप्ता ने शनिवार को सुनवाई के दौरान ED को 2 दिन की कस्टडी दी।
पाल को 13 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे पटियाला हाउस कोर्ट में दोबारा पेश किया जाएगा।
ED ने अदालत से 5 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने केवल दो दिन की हिरासत मंजूर की।
वहीं, बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय अग्रवाल ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी गैरकानूनी है क्योंकि ED ने बिना पूर्व अनुमति के आरोपी को गिरफ्तार किया, जबकि शिकायत पहले से कोर्ट में लंबित थी।
कोर्ट ने यह स्वीकार किया कि मुकदमे की ट्रायल प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है और संज्ञान (cognisance) भी नहीं लिया गया है।
फिर भी, अदालत ने ED को दो दिन की कस्टडी की अनुमति दी ताकि जांच आगे बढ़ सके।
अदालत ने आरोपी के अधिकारों की रक्षा के लिए दिए निर्देश
कोर्ट ने ED को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि पूछताछ CCTV कैमरों की निगरानी में की जाए।
साथ ही, आरोपी को रोजाना शाम 6 बजे से 7 बजे तक अपने वकील से आधे घंटे के लिए मिलने की अनुमति दी गई — इस दौरान ED अधिकारी बातचीत नहीं सुन सकेंगे।
इसके अलावा, अदालत ने ED को निर्देश दिया कि जरूरी दवाइयाँ आरोपी को समय पर उपलब्ध कराई जाएँ।
ED को अब 13 अक्टूबर तक बचाव पक्ष की अवैध गिरफ्तारी वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करना है।
ED की कार्रवाई: फर्जी बैंक गारंटी और फंड डायवर्जन का खुलासा
ED ने शुक्रवार रात देर तक पूछताछ के बाद अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया।
अधिकारियों के अनुसार, Reliance Power—जो एक पब्लिक लिस्टेड कंपनी है और जिसमें 75% से अधिक शेयर पब्लिक के पास हैं—के CFO के रूप में पाल ने कंपनी के फंड डायवर्जन और फर्जी दस्तावेज तैयार करने में “महत्वपूर्ण भूमिका” निभाई।
यह जांच एक ₹68 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी (Bank Guarantee) से जुड़ी है, जो Solar Energy Corporation of India (SECI) को Battery Energy Storage System (BESS) प्रोजेक्ट के लिए दी गई थी।
ED का दावा है कि यह गारंटी “FirstRand Bank, Manila, Philippines” के नाम पर जारी की गई थी — जबकि उस स्थान पर बैंक की कोई शाखा है ही नहीं।
फर्जी कंपनी और झूठे इनवॉइस का नेटवर्क
ED की जांच में यह भी सामने आया कि यह फर्जी गारंटी Biswal Tradelink Pvt. Ltd. (BTPL) नामक एक छोटी फर्म के जरिए जारी कराई गई, जो एक आवासीय पते से संचालित होती थी।
BTPL के डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल, जो पहले से न्यायिक हिरासत में हैं, पर इस फर्जी गारंटी में सहयोग का आरोप है।
अशोक कुमार पाल पर आरोप है कि उन्होंने कई करोड़ रुपये के फर्जी ट्रांसपोर्ट इनवॉइस को मंजूरी दी और पेमेंट की प्रक्रिया को Telegram और WhatsApp के जरिए संभाला, ताकि Reliance Power के आधिकारिक SAP और Vendor Master System को दरकिनार किया जा सके।
स्पूफ ईमेल से हुआ वित्तीय धोखा
ED को जांच में यह भी पता चला कि पाल ने फर्जी बैंक गारंटी रैकेट का इस्तेमाल किया, जो स्पूफ ईमेल डोमेन के जरिए संचालित था — जैसे “s-bi.co.in” की जगह “sbi.co.in”।
इसी तरह Indian Bank, IndusInd Bank, और PNB के नाम से मिलते-जुलते नकली डोमेन बनाए गए थे ताकि सार्वजनिक उपक्रमों और वित्तीय संस्थानों को धोखा दिया जा सके।
निष्कर्ष: कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर गंभीर सवाल
यह मामला कॉर्पोरेट जगत में गवर्नेंस और फंड प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठाता है।
ED के अनुसार, यह सिर्फ एक व्यक्ति की भूमिका नहीं बल्कि संगठित आर्थिक अपराध का हिस्सा है, जिसमें फर्जी दस्तावेज, झूठी गारंटियाँ और डिजिटल चैनलों के दुरुपयोग से करोड़ों का नुकसान हुआ।
आने वाले दिनों में ED द्वारा जमा किए जाने वाले साक्ष्यों से Reliance Power की आंतरिक वित्तीय प्रक्रिया पर भी बड़ा असर पड़ सकता है।
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