कांस्टेबल भर्ती 2015: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘अस्वस्थ’ घोषित अभ्यर्थियों को राहत दी, मेडिकल रिपोर्ट रद्द कर दोबारा परीक्षण का आदेश

Constable Recruitment 2015: Allahabad High Court gives relief to candidates declared ‘unwell’, cancels medical report and orders re-testing

⚖️ प्रमुख बिंदु:

  • न्यायमूर्ति अजित कुमार की एकलपीठ ने चंद्रकांत व अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया।
  • कोर्ट ने पहले की मेडिकल रिपोर्ट को रद्द कर सरकार को एक नई मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया।
  • बोर्ड में संबंधित क्षेत्र के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर होंगे और याचिकाकर्ताओं का फिर से चिकित्सा परीक्षण किया जाएगा।

🧾 पृष्ठभूमि:

  • मामला कांस्टेबल जीडी भर्ती 2015 से संबंधित है।
  • याचिकाकर्ताओं को चयन के बाद 2 और 3 मई, 2018 को नियुक्ति आदेश दिए गए थे।
  • नियुक्ति आदेश मिलने के बाद एक बार फिर मेडिकल परीक्षण हुआ जिसमें उन्हें अस्थायी बीमारियों के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया।

🧑‍⚕️ मेडिकल अस्वीकृति के कारण:

  • चंद्रकांत – आंतरिक बवासीर
  • पुष्पराज सिंह – तपेदिक (टीबी)
  • कमलेश कुमार – सुनने की समस्या
  • नितीश कुमार – डेंटल अंक कम
  • सुनील कुमार पटेल – हर्निया
  • शिव प्रसाद गुप्ता – हाइड्रोसील
  • अरविंद सिंह पटेल – आंतरिक बवासीर
  • महमूद अली – फेशियल पाल्सी
  • राजेश कुमार – उच्च रक्तचाप
  • विवेक शुक्ला – मोटापा और दूरदृष्टि
  • हिमांशु शुक्ला – वजन व दृष्टि संबंधी समस्याएं
  • शिव कुमार – लिंग ग्रंथि पर विटिलिगो व डेंटल अंक कम

🧑‍⚖️ कोर्ट की टिप्पणियाँ:

  • कोर्ट ने कहा कि रिव्यू मेडिकल बोर्ड में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं थे, जबकि याचिकाकर्ताओं की रिपोर्ट सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों ने दी थी।
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि कई मामलों में, जैसे कि बवासीर की सर्जरी के बाद, उचित रिकवरी समय नहीं दिया गया, जो मेडिकल गाइडलाइंस का उल्लंघन है।
  • दिल्ली हाईकोर्ट और त्रिपुरा हाईकोर्ट के समान मामलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राहत दी।
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🏥 कोर्ट का आदेश:

  • सरकार को 1 माह के भीतर नई मेडिकल बोर्ड गठित करनी होगी जिसमें प्रासंगिक चिकित्सा विज्ञान के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर हों।
  • यदि याचिकाकर्ता फिट पाए जाते हैं, तो उन्हें नियुक्ति आदेश के अनुसार कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दी जाएगी।
  • उनकी सीनियरिटी बहाल की जाएगी और उन्हें नियुक्ति की मूल तिथि से लाभ मिलेगा।

📌 महत्व:

यह निर्णय न केवल हजारों लंबित भर्ती विवादों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि अस्थायी बीमारियों के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों को न्यायसंगत और विशेषज्ञ आधार पर जांच मिलनी चाहिए। यह आदेश प्रशासनिक पारदर्शिता, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत, और उचित प्रक्रिया (due process) को सुदृढ़ करता है।

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