Andhra Pradesh liquor scam: Supreme Court refuses anticipatory bail to YSR MP PV Mithun Reddy, paves way for custodial interrogation
आंध्र प्रदेश में बहुचर्चित शराब नीति घोटाले में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद पी.वी. मिथुन रेड्डी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी, जिससे अब राज्य एजेंसियों के लिए उनकी हिरासत में पूछताछ का रास्ता साफ हो गया है।
❝ गंभीर आरोपों में कोई सुरक्षा नहीं दी जा सकती ❞
न्यायमूर्ति जे.बी. पारडीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने मिथुन रेड्डी की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा कि आरोपों की प्रकृति को देखते हुए हिरासत में पूछताछ जरूरी है और अदालत इस स्थिति में कोई सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती।
पीठ ने उनकी ओर से मांगी गई अंतरिम राहत या आत्मसमर्पण के लिए समय देने की मांग भी ठुकरा दी।
“इन परिस्थितियों में यह न्यायालय कोई ढाल नहीं दे सकता,” पीठ ने टिप्पणी की।
🧾 मामला: नीति, गड़बड़ियाँ और कथित घोटाला
पी.वी. मिथुन रेड्डी इस हाई-प्रोफाइल बहु-करोड़ के शराब घोटाले में प्रमुख आरोपियों में से हैं, जिसमें राजनीतिक और नौकरशाही गठजोड़ के जरिए शराब नीति में बदलाव कर कुछ चुनिंदा निजी कंपनियों को अनुचित लाभ देने के आरोप हैं।
जांच एजेंसियों का कहना है कि रेड्डी ने नीति-स्तर पर प्रभाव डालते हुए ऐसे संशोधन किए जिससे कुछ विक्रेताओं को एकाधिकार मिला। कमीशन और घूस कथित रूप से शेल कंपनियों और बिचौलियों के माध्यम से ट्रांसफर किए गए।
उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) पहले ही जारी हो चुका है क्योंकि उन्होंने विशेष जांच दल (SIT) की समन का पालन नहीं किया।
❌ सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत क्यों खारिज की?
- आरोपों की गंभीरता: न्यायालय ने इस बात को रेखांकित किया कि यह एक संस्थागत भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें करोड़ों रुपये की हेराफेरी और प्रशासनिक दुरुपयोग शामिल हैं।
- हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता: जांच एजेंसियों का तर्क था कि पैसे के लेन-देन और अन्य आरोपियों की भूमिका उजागर करने के लिए हिरासत में पूछताछ जरूरी है।
- हाईकोर्ट का रुख: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट पहले ही इसी आधार पर अग्रिम जमानत खारिज कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने उस निर्णय में हस्तक्षेप करने से इंकार किया।
📌 राजनीतिक और कानूनी असर
- तत्काल गिरफ्तारी संभव: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य एजेंसियाँ किसी भी समय रेड्डी को गिरफ्तार कर सकती हैं।
- राजनीतिक वर्ग के लिए संदेश: अदालत का यह रुख दर्शाता है कि सार्वजनिक पद किसी गंभीर आर्थिक अपराध में ढाल नहीं बन सकता।
- SIT को बढ़त: अब विशेष जांच दल को वित्तीय रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य की जांच तेज करने का अवसर मिलेगा।
🧾 मामले का शीर्षक:
P.V. Midhun Reddy v. State of Andhra Pradesh
