Big decision of Supreme Court: Ordered to give stipend of ₹ 25,000 per month to Army Medical College interns
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (ACMS) को 2022 बैच के MBBS इंटर्न्स को ₹25,000 प्रतिमाह के हिसाब से वजीफा देने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने दिया, जो कि मेडिकल स्नातक अभिषेक यादव और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने कॉलेज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बालासुब्रमण्यम से कड़े शब्दों में पूछा कि जब इंटर्न 18-19 घंटे तक कार्य कर रहे हैं, तो उन्हें वजीफा क्यों नहीं दिया जा रहा। कोर्ट ने कहा,
“वे इसके हकदार हैं। यह कोई दया नहीं, उनका अधिकार है।”
कॉलेज की दलील थी कि वह एक निजी सोसायटी द्वारा संचालित है और सरकार से कोई अनुदान नहीं लेता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह तर्क खारिज कर दिया और स्पष्ट निर्देश दिया कि सभी इंटर्न, चाहे वे किसी भी बैच के हों, को समान वजीफा मिलना चाहिए।
📌 अदालत का आदेश:
“2022 बैच के प्रशिक्षुओं को ₹25,000 प्रति माह की दर से आठ सप्ताह के भीतर वजीफा दिया जाए।”
⚖️ विदेशी मेडिकल स्नातकों पर भी टिप्पणी
याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने यह भी बताया कि विदेशी मेडिकल स्नातकों को वजीफा नहीं मिलना बंधुआ मजदूरी जैसा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और निर्देश दिया कि इससे जुड़ा मामला जल्द अंतिम बहस के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सितंबर 2023 के आदेश के तहत अक्टूबर 2023 से शुरू होने वाले सभी इंटर्न्स को ₹25,000 वजीफा मिलना अनिवार्य है, और पिछले बैच को इससे वंचित नहीं किया जा सकता।
