‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म पर दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई जारी: आरोपी मोहम्मद जावेद ने की रिलीज पर रोक की मांग

Delhi High Court hearing on ‘Udaipur Files’ film continues: Accused Mohammad Javed demands ban on its release

“उदयपुर फाइल्स” फिल्म की रिलीज़ को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता मोहम्मद जावेद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने दलील दी कि फिल्म की रिलीज से याचिकाकर्ता के निष्पक्ष मुकदमे के अधिकार (Right to Fair Trial) को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने केंद्र सरकार और सेंसर बोर्ड (CBFC) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा की दलीलें सुनीं और मामला आगामी 1 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया।

🔍 याचिकाकर्ता की दलीलें:

  • याचिकाकर्ता मोहम्मद जावेद कन्हैया लाल हत्याकांड में आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर रिहा हैं। फिल्म पूरी तरह से आरोपपत्र (चार्जशीट) पर आधारित है, जो विचाराधीन मामला है।
  • अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि फिल्म का प्रसारण न्यायिक अवमानना (Contempt of Court) के अंतर्गत आता है क्योंकि यह एक subjudice (विचाराधीन) मामले पर आधारित है।
  • उन्होंने कहा कि आरोपी को दोषी सिद्ध किए बिना उसके खिलाफ फिल्म बनाना, न केवल अनुचित है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का उल्लंघन है।
  • उन्होंने केरल हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि “जब तक व्यक्ति दोषी साबित न हो, कोई फिल्म या सीरियल सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।”

🎬 सेंसर बोर्ड और केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल:

  • अदालत ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार को सिनेमेटोग्राफी अधिनियम की धारा 6(2) के तहत कट लगाने या बदलाव सुझाने का अधिकार है?
  • ASG चेतन शर्मा ने दलील दी कि केंद्र सरकार ने अपने पुनरीक्षण अधिकार (Revisional Powers) के तहत सुझाव दिए और दोनों पक्षों को फिल्म दिखाकर उनकी चिंताओं का समाधान किया गया।
  • अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार तीन आदेश ही जारी कर सकती है— प्रमाणपत्र को बदलना, रद्द करना या निलंबित करना— और पूछा कि मौजूदा आदेश किस श्रेणी में आता है?
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🧾 आगे क्या?

  • अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार ने CBFC के फैसले पर अपीलकर्ता की भूमिका में काम किया है, जबकि ऐसा करने का उसे अधिकार नहीं है।
  • ASG ने कहा कि वे अदालत की शंकाओं का संतोषजनक उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
  • अदालत ने 1 अगस्त 2025 को सुनवाई की अगली तारीख तय की है, जब मौलाना अर्शद मदनी की याचिका भी सुनी जाएगी।

पृष्ठभूमि में मामला:
उदयपुर फाइल्स फिल्म कथित रूप से कन्हैया लाल की हत्या और उससे जुड़े घटनाक्रम पर आधारित है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फिल्म का उद्देश्य केवल चार्जशीट के आधार पर आरोपियों को दोषी दर्शाना है, जो भारतीय न्याय प्रणाली के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

इस मामले में, न्यायपालिका और सेंसर व्यवस्था की संवैधानिक सीमाएं केंद्र में हैं। अब देखना यह होगा कि अदालत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निष्पक्ष न्याय के बीच संतुलन कैसे स्थापित करती है।

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