सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति संदर्भ की सुनवाई के दौरान कहा कि भारत का संविधान लोकतंत्र की रीढ़ है। CJI गवई ने नेपाल और बांग्लादेश की अस्थिरता का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारतीय संविधान ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाए रखा है।
सुप्रीम कोर्ट: भारत का संविधान लोकतंत्र की रीढ़, पड़ोसी देशों की स्थिति पर जताई चिंता
नई दिल्ली, 10 सितम्बर 2025 — भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को पड़ोसी देशों की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारतीय संविधान ही वह मज़बूत आधार है जिसने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को निरंतर बनाए रखा है।
मुख्य न्यायाधीश CJI B.R. Gavai ने राष्ट्रपति द्वारा दायर विशेष संदर्भ याचिका (Presidential Reference) पर सुनवाई के दौरान कहा—
“हम अपने संविधान पर गर्व करते हैं। अगर आप पड़ोसी देशों की स्थिति देखें, कल ही नेपाल में क्या हुआ…। हमारा संविधान इतना मजबूत है कि इसने लोकतंत्र को अक्षुण्ण बनाए रखा है।”
मामला क्या है?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शीर्ष अदालत से यह राय मांगी है कि क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति को विधानसभा से पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करने (Assent) के लिए समय-सीमा निर्धारित की जा सकती है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि 1970 से अब तक लगभग 17,000 विधेयक राज्यपालों को भेजे गए, जिनमें से केवल 20 विधेयकों को ही रोका गया है। उन्होंने कहा कि:
- 90% विधेयक एक माह के भीतर पारित हो जाते हैं,
- बाकी अधिकांश तीन से छह माह में निपटा दिए जाते हैं।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि केवल “घोर असंवैधानिक” विधेयकों को ही राज्यपाल या राष्ट्रपति द्वारा रोका जाता है।
कोर्ट की आपत्ति
हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि वह डेटा-आधारित तर्कों पर विचार नहीं करेगी क्योंकि विपक्षी पक्ष को ऐसा डेटा प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
CJI गवई ने कहा—
“अगर हमने उन्हें डेटा पेश करने की अनुमति नहीं दी है, तो आपको भी नहीं दी जा सकती। यह न्यायसंगत नहीं होगा।”
पड़ोसी देशों का ज़िक्र
सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि देश पिछले 75 वर्षों से संविधान और लोकतंत्र के साथ चल रहा है, चाहे विधेयकों की संख्या जो भी हो।
CJI गवई ने नेपाल की हाल की राजनीतिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा—
“हम अपने संविधान पर गर्व करते हैं… पड़ोसी देशों की हालात देखें, नेपाल में हाल ही क्या हुआ।”
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने बीच में जोड़ा— “और बांग्लादेश में भी…”
सुप्रीम कोर्ट कल भी इस विशेष संदर्भ मामले की सुनवाई जारी रखेगा।
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