Malegaon blast case: NIA court acquitted all 7 accused, decision came due to lack of evidence
मुंबई की एनआईए स्पेशल कोर्ट ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को “संदेह से परे” सिद्ध करने में विफल रहा। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि महाराष्ट्र सरकार पीड़ित परिवारों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 का मुआवजा दे।
🔹 बरी किए गए आरोपी:
- साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (पूर्व सांसद)
- मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय
- सुधाकर चतुर्वेदी
- अजय रहीरकर
- सुधंकर धर द्विवेदी (शंकराचार्य)
- समीर कुलकर्णी
- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (पूर्व में आरोपी, लेकिन अंतिम चार्ज सात पर ही लगे थे)
📜 अदालत के मुख्य निष्कर्ष:
- 323 अभियोजन और 8 बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया।
- “विस्फोट हुआ था, यह साबित हुआ,” लेकिन अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि बम आरोपियों की बाइक में रखा गया था।
- मेडिकल सर्टिफिकेट में “घायलों की संख्या 101 नहीं, बल्कि 95” पाई गई — अदालत ने कहा डॉक्यूमेंट्स में हेरफेर हुआ।
- प्रसाद पुरोहित के घर से विस्फोटक बनाने या स्टोर करने का कोई प्रमाण नहीं मिला।
- जांच में गंभीर खामियां — मौके का स्केच नहीं बनाया गया, फिंगरप्रिंट या डेटा रिकॉर्ड नहीं किया गया।
- नमूने दूषित पाए गए, इसलिए लैब रिपोर्ट्स पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
- अभिनव भारत संगठन की फंडिंग को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले कि उसे आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया।
🕯️ पृष्ठभूमि:
29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भिक्कू चौक के पास एक मोटरसाइकिल में रखे बम के फटने से 6 लोगों की मौत और 95 लोग घायल हो गए थे। यह विस्फोट एक मस्जिद के पास हुआ था और शुरुआती जांच में इसे सुनियोजित आतंकी हमला माना गया था।
⚖️ कानूनी महत्व:
- UAPA, आर्म्स एक्ट, और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत गंभीर धाराएं लगी थीं, जिनसे अब सभी आरोपी मुक्त हो गए हैं।
- अदालत ने कहा कि मात्र संदेह के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती — भारतीय आपराधिक न्याय व्यवस्था में संदेह से परे सिद्धि अनिवार्य है।
📌 राजनीतिक और सामाजिक असर:
- यह फैसला उन मामलों में शामिल है, जहाँ “हिंदू आतंकवाद” शब्द पहली बार प्रमुखता से सामने आया था।
- साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, जो अब भाजपा सांसद हैं, इस केस की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आई थीं।
- फैसले के खिलाफ अपील होगी या नहीं, इस पर अभी सरकार की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है।
