कर्नाटक हाईकोर्ट: महिला भी पॉक्सो कानून के तहत अपराध की दोषी ठहराई जा सकती है, अधिनियम है जेंडर न्यूट्रल

कर्नाटक हाईकोर्ट: महिला भी पॉक्सो कानून के तहत अपराध की दोषी ठहराई जा सकती है, अधिनियम है जेंडर न्यूट्रल

Karnataka High Court: Women can also be convicted of crimes under POCSO Act, the Act is gender neutral

कर्नाटक हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि पॉक्सो कानून (POCSO Act) पूरी तरह जेंडर न्यूट्रल है और महिला भी इसके तहत अभियुक्त बन सकती है। कोर्ट ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए इस अधिनियम का उद्देश्य लिंग भेद से परे सभी नाबालिगों को संरक्षण देना है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने आर्चना पाटिल बनाम राज्य कर्नाटक (Criminal Petition No.12777/2024, निर्णय दिनांक 18 अगस्त 2025) में अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि पॉक्सो अधिनियम, 2012 (POCSO Act) जेंडर न्यूट्रल है और महिला पर भी धारा 4 व 6 के तहत अभियोजन चल सकता है।

जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि यह कानून बच्चों की अस्मिता की रक्षा के लिए बना है और इसका संरक्षण “लड़का या लड़की” सभी को समान रूप से उपलब्ध है।

पृष्ठभूमि

52 वर्षीय महिला कलाकार पर आरोप था कि उसने 13 वर्षीय लड़के का बार-बार यौन शोषण किया। पीड़ित की मां की शिकायत पर पुलिस ने पॉक्सो अधिनियम की धाराओं 4 और 6 के तहत मामला दर्ज कर चार्जशीट दायर की। आरोपी महिला ने CrPC की धारा 482 के तहत कार्यवाही रद्द करने की मांग की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां

  • जेंडर न्यूट्रलिटी: पॉक्सो अधिनियम का उद्देश्य केवल लड़कियों ही नहीं, बल्कि सभी बच्चों को संरक्षण देना है।
  • महिला अभियुक्त: धारा 3, 4, 5 और 6 का दायरा महिला पर भी लागू होता है। इसलिए महिला भी दोषी ठहराई जा सकती है।
  • विलंब से शिकायत: यौन शोषण के मामलों में देरी से FIR दर्ज होना कार्यवाही को निरस्त नहीं करता।
  • पोटेंसी टेस्ट: पीड़ित की पोटेंसी टेस्ट न कराना अभियोजन को कमजोर नहीं करता।
  • मानसिक आघात और शारीरिक प्रतिक्रिया: कोर्ट ने कहा कि यह सोचना कि “मनोवैज्ञानिक आघात में शारीरिक प्रतिक्रिया असंभव है”— ग़लत और वैज्ञानिक दृष्टि से अस्वीकार्य है।
  • लिंग आधारित रूढ़ियाँ अस्वीकार: यह धारणा कि यौन क्रिया में महिला “सिर्फ़ निष्क्रिय” और पुरुष “सक्रिय” होता है— अदालत ने इसे “पुरानी और अस्वीकार्य सोच” बताते हुए खारिज कर दिया।
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👉 इस प्रकार, अदालत ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम लिंग से परे सभी बच्चों को सुरक्षा देता है और महिला पर भी अभियोग चल सकता है।

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