दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा पति पर सास-ससुर या परिवार से नाता तोड़ने का दबाव बनाना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। यह तलाक का वैध आधार है। अदालत ने पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए पत्नी की अपील खारिज कर दी।
दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पति को परिवार से अलग करने का दबाव मानसिक क्रूरता, तलाक का वैध आधार
कोर्ट का निर्णय
दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ—जस्टिस अनिल खसेतरपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर—ने स्पष्ट किया कि पति या पत्नी पर परिवार से नाता तोड़ने का दबाव डालना मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) की श्रेणी में आता है।
यह तलाक का वैध आधार है।
कोर्ट ने यह फैसला उस अपील पर सुनाया जिसमें पत्नी ने जनवरी 2023 के पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। पारिवारिक अदालत ने पति की याचिका स्वीकार करते हुए विवाह समाप्त कर दिया था।
मामला क्या है?
- शादी: मार्च 2007
- एक बेटा भी है
- 2011 से अलग रह रहे हैं
- 2016: पति ने तलाक की अर्जी दायर की
पति के आरोप:
- पत्नी संयुक्त परिवार में रहने को तैयार नहीं थी।
- वह परिवार की संपत्ति का बंटवारा चाहती थी।
- सास और बहन से अलग रहने का दबाव डालती रही।
- परिवारजनों के साथ असम्मानजनक व्यवहार।
- सार्वजनिक कार्यक्रमों में विवाद खड़ा करना।
- फर्जी आपराधिक मामलों में फंसाने की धमकी।
जनवरी 2023 में पारिवारिक अदालत ने पति की याचिका स्वीकार कर तलाक का डिक्री जारी की।
पत्नी का पक्ष
पत्नी ने हाईकोर्ट में कहा कि:
- उसे सास और ननद से प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
- गर्भावस्था में अपमान और संसाधनों पर रोक लगाई गई।
- अनुचित उम्मीदें रखी गईं।
- इससे मानसिक व शारीरिक नुकसान हुआ और बेटा भी प्रभावित हुआ।
- कई बार पुलिस हस्तक्षेप भी करना पड़ा।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
- पत्नी का आचरण सामान्य वैवाहिक मतभेदों से काफी आगे था।
- लगातार पति पर दबाव डालना कि वह अपने परिवार से अलग हो जाए, मानसिक क्रूरता है।
- अपमान, धमकी और भावनात्मक दूरी ने विवाह को असहनीय बना दिया।
👉 इस आधार पर हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत का आदेश बरकरार रखा और पत्नी की अपील खारिज कर दी।
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