कानून मंत्रालय ने एडवोकेट फीस के भुगतान को पूरी तरह डिजिटल बनाते हुए LIMBS और PFMS को जोड़ा। अब फीस का भुगतान पेपरलेस, पारदर्शी और रियल-टाइम ट्रैकिंग के साथ होगा। यह पहल डिजिटल इंडिया और Viksit Bharat @2047 के लक्ष्य को गति देगी।
कानून मंत्रालय की बड़ी पहल: एडवोकेट फीस पेमेंट अब पूरी तरह डिजिटल, LIMBS और PFMS के एकीकरण से हुआ सिस्टम पेपरलेस
⚖️ कानून मंत्रालय ने वकालत फीस भुगतान प्रणाली में लाया ऐतिहासिक सुधार
नई दिल्ली, भारत सरकार:
भारत सरकार के Special Campaign 5.0 के तहत पारदर्शिता, दक्षता और डिजिटल प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए कानून और न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग (Department of Legal Affairs – DLA) ने एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने Legal Information Management and Briefing System (LIMBS) को Public Financial Management System (PFMS) के साथ एकीकृत कर दिया है, जिससे अब एडवोकेट फीस का पूरा भुगतान डिजिटल तरीके से होगा।
💻 अब वकीलों की फीस का भुगतान पूरी तरह ऑनलाइन
इस एकीकरण से वकीलों की फीस के भुगतान की प्रक्रिया पूरी तरह पेपरलेस, पारदर्शी और रियल-टाइम ट्रैकिंग आधारित बन गई है।
पहले वकीलों की फीस भुगतान प्रक्रिया में कई मैनुअल चरण शामिल थे —
- हार्ड कॉपी में बिल जमा करना,
- भौतिक सत्यापन,
- पे एंड अकाउंट्स ऑफिस को दस्तावेज़ भेजना,
- और फिर अनुमोदन के बाद भुगतान।
इन प्रक्रियाओं में अक्सर देरी और पेपरवर्क की अधिकता होती थी।
अब यह सब एकीकृत e-Bill मॉड्यूल के जरिए LIMBS प्लेटफॉर्म से PFMS सिस्टम तक स्वतः ट्रांसफर होकर डिजिटल हस्ताक्षर और सत्यापन के बाद सीधे बैंक खाते में भुगतान करता है।
🔁 नया सिस्टम कैसे काम करता है?
1️⃣ एडवोकेट या लॉ ऑफिसर LIMBS पोर्टल पर अपनी फीस का बिल ऑनलाइन जनरेट करते हैं।
2️⃣ यह बिल PFMS को ऑटोमेटिकली भेज दिया जाता है।
3️⃣ ड्रॉइंग एंड डिस्बर्सिंग ऑफिसर (DDO) डिजिटल रूप से सत्यापन और हस्ताक्षर करते हैं।
4️⃣ Claim Reference Number (CRN) जेनरेट होता है, जिससे बिल की स्थिति रियल-टाइम में ट्रैक की जा सकती है।
5️⃣ PFMS सीधे वकील या लाभार्थी के बैंक खाते में भुगतान करता है — बिना किसी फाइल मूवमेंट या मैन्युअल हस्तक्षेप के।
📑 पारदर्शिता, दक्षता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम
कानून मंत्रालय ने बताया कि इस पहल से न केवल समय की बचत और त्रुटि रहित भुगतान सुनिश्चित होगा, बल्कि
- डिजिटल रिकॉर्ड-कीपिंग में एकरूपता आएगी,
- प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी,
- और कागज़ की खपत में कमी से पर्यावरणीय स्थिरता को भी बल मिलेगा।
यह कदम Ease of Doing Business, Digital India और Viksit Bharat @2047 जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है।
⚙️ फरवरी 2025 में हुआ e-Bill मॉड्यूल का शुभारंभ
सेंट्रल एजेंसी सेक्शन (CAS) ने फरवरी 2025 में पैनल एडवोकेट फीस के लिए e-Bill मॉड्यूल लागू किया था। अब विभाग इसे दिल्ली हाईकोर्ट समेत अन्य लिटिगेशन यूनिट्स में भी विस्तार देने की तैयारी कर रहा है।
इसके साथ ही LIMBS प्लेटफॉर्म में “Retainer Fee Module” जोड़ने का प्रस्ताव भी तैयार है, जिससे नियमित रूप से कार्यरत लॉ ऑफिसर्स के भुगतान को भी डिजिटाइज किया जा सके।
🧭 डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों की ओर एक बड़ा कदम
यह पहल भारत सरकार की Special Campaign 5.0 के तहत प्रशासनिक प्रक्रियाओं के सरलीकरण और डिजिटलीकरण का उत्कृष्ट उदाहरण है।
इससे न केवल अंतर-विभागीय समन्वय में सुधार होगा बल्कि कानूनी सेवाओं के भुगतान में एकरूपता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।
विधि कार्य विभाग के अनुसार,
“यह सुधार न केवल पारदर्शिता और दक्षता को सुदृढ़ करता है बल्कि नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण प्रणाली को भी अधिक सशक्त बनाता है।”
🌐 निष्कर्ष
LIMBS-PFMS इंटीग्रेशन से अब वकीलों की फीस का भुगतान पूरी तरह डिजिटल, पारदर्शी और त्वरित हो गया है।
यह पहल न केवल सरकारी कार्यप्रणाली को आधुनिक बना रही है बल्कि Viksit Bharat @2047 के डिजिटल प्रशासनिक ढांचे की दिशा में भी एक मजबूत कदम साबित हो रही है।
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