हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पुरानी गाड़ी बेचने के बाद भी RC ट्रांसफर न कराने पर हादसे की जिम्मेदारी पुराने मालिक की

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी वाहन की RC अभी भी पुराने मालिक के नाम पर है, तो सड़क हादसे की कानूनी जिम्मेदारी उसी की होगी, भले ही गाड़ी बेच दी गई हो। जानिए पूरा मामला और कानूनी सबक।

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पुरानी गाड़ी बेचने के बाद भी RC ट्रांसफर न कराने पर हादसे की जिम्मेदारी पुराने मालिक की

अगर आपने हाल ही में अपनी पुरानी कार या बाइक बेची है और यह सोचकर निश्चिंत हैं कि अब उससे आपका कोई लेना-देना नहीं, तो यह खबर आपके लिए चेतावनी है।
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर वाहन की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) अब भी पुराने मालिक के नाम पर है, तो किसी भी सड़क हादसे की जिम्मेदारी से वह बच नहीं सकता

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही नया मालिक किसी गंभीर दुर्घटना का कारण बने — यहां तक कि किसी की मौत हो जाए — मुआवजा (compensation) की रकम चुकाने की जिम्मेदारी पुराने मालिक पर ही होगी।


मामले की पृष्ठभूमि: 2006 का तिप्पू सुल्तान रोड हादसा

यह मामला 7 सितंबर 2006 को केरल के तिप्पू सुल्तान रोड पर हुए एक भीषण सड़क हादसे से जुड़ा है।
सुजीत नामक युवक अपनी बाइक से घर लौट रहा था, जब सामने से आ रही तेज रफ्तार मोटरसाइकिल ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि सुजीत की मौके पर ही मौत हो गई।

जांच में सामने आया कि हादसा करने वाला चालक बिना वैध ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चला रहा था।
सबसे अहम बात यह थी कि जिस बाइक से यह दुर्घटना हुई, उसकी RC अभी भी पुराने मालिक के नाम पर थी
वाहन वास्तव में बिक चुका था, परंतु नए मालिक ने RTO में ट्रांसफर की औपचारिकता पूरी नहीं की थी

ALSO READ -  जीएनसीटीडी (संशोधन) अध्यादेश 2023 को चुनौती: SC ने याचिका को संविधान पीठ के पास भेजने की इच्छा व्यक्त की

ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के फैसले

मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (MACT) ने यह तय किया कि मुआवजे की जिम्मेदारी पुराने मालिक और चालक दोनों पर होगी।
बीमा कंपनी को पहले ₹3,70,810 की मुआवजा राशि 7.5% ब्याज सहित पीड़ित परिवार को देनी होगी, लेकिन वह बाद में यह रकम इन दोनों से वसूल सकती है।

पुराने मालिक ने इस फैसले को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी।
उसका तर्क था कि उसने गाड़ी बहुत पहले बेच दी थी और एक इंडेम्निटी बॉन्ड पर नया मालिक जिम्मेदारी लेने को तैयार था।
हालांकि, अदालत में इस दावे का कोई ठोस दस्तावेजी प्रमाण पेश नहीं किया जा सका।


हाईकोर्ट का फैसला: RC पर नाम जब तक नहीं बदलता, जिम्मेदारी पुरानी रहेगी

10 जुलाई 2025 को अपने विस्तृत आदेश में केरल हाईकोर्ट ने कहा —

“जब तक किसी वाहन का पंजीकरण (RC) आधिकारिक रूप से नए मालिक के नाम पर ट्रांसफर नहीं होता, तब तक कानून की नजर में पुराने मालिक को ही वास्तविक मालिक माना जाएगा।”

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट का मिसाल – Naveen Kumar v. Vijay Kumar (2018) 3 SCC 1:
इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सड़क दुर्घटना के मामलों में “कानूनी मालिक” वही होगा जिसका नाम आरटीओ रिकॉर्ड में दर्ज है।

“Even if the vehicle has been sold, unless the name is changed in the records of the registering authority, the person whose name continues in the register is the owner in the eyes of law.”

इसलिए बीमा क्लेम या मुआवजे के मामलों में ट्रिब्यूनल और कोर्ट उसी व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराएंगे।

ALSO READ -  यूपी पुलिस ने 'गिरफ्तारी' और 'तलाशी' के लिए जारी किए 'नए दिशानिर्देश'

हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि बीमा कंपनी मुआवजा दे और बाद में यह रकम पुराने मालिक व चालक से वसूल करे।
साथ ही कोर्ट ने पुराने मालिक को यह स्वतंत्रता दी कि वह आगे चलकर कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से नए मालिक से वसूली कर सकता है।


फैसले से मिली सीख: गाड़ी बेचने के बाद क्या करें

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला हर वाहन मालिक के लिए एक बड़ी चेतावनी है।
सिर्फ गाड़ी बेचने से जिम्मेदारी खत्म नहीं होती।
कानूनन स्वामित्व तब तक नहीं बदलता जब तक आप ये कदम न उठाएँ:

  1. RTO में फॉर्म 29 और 30 भरकर RC ट्रांसफर कराएँ।
  2. बीमा पॉलिसी (Insurance Policy) अपडेट करें और बीमा कंपनी को सूचित करें।
  3. सेल एग्रीमेंट और पेमेंट रसीद सुरक्षित रखें।
  4. ट्रांसफर पूरा होने तक गाड़ी नए मालिक को न सौंपें।

कानूनी रूप से, जब तक RC और बीमा आपके नाम पर हैं, तब तक किसी भी दुर्घटना या अपराध की जिम्मेदारी आपकी मानी जाएगी।


⚖️ इस फैसले से क्या सीख मिलती है

वाहन सौंपने से पहले ट्रांसफर पूरा कराएं।
बेहतर यही है कि तब तक गाड़ी न सौंपें, जब तक RTO में नाम ट्रांसफर का ऑनलाइन रिकॉर्ड अपडेट न हो जाए।

केवल सेल एग्रीमेंट या इंडेम्निटी बॉन्ड काफी नहीं है।
जब तक आप RTO में फॉर्म 29 और 30 जमा नहीं करते और ट्रांसफर एंट्री नहीं होती, तब तक कानूनी तौर पर आप ही मालिक हैं।

बीमा ट्रांसफर करें।
गाड़ी बेचते ही बीमा पॉलिसी में नाम बदलवाएं। अन्यथा दुर्घटना की स्थिति में बीमा कंपनी आपकी जिम्मेदारी तय कर सकती है।

ALSO READ -  केरल सरकार ने यौन उत्पीड़न मामले में सत्र न्यायालय के विवादास्पद आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया-

सेल के प्रमाण रखें।

नोटराइज्ड एग्रीमेंट

भुगतान की रसीद

फॉर्म 29/30 की कॉपी

RTO रसीद

बीमा ट्रांसफर की सूचना
ये दस्तावेज भविष्य में आपके बचाव के लिए जरूरी साक्ष्य बन सकते हैं।

Tags:
#KeralaHighCourt #RCTransfer #MotorAccidentLaw #UsedCarSale #VehicleOwnership #SupremeCourtJudgment #InsuranceClaim #LegalAwareness #TrafficLaw #NaveenKumarCase

Leave a Comment