सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता महेश राऊत को 6 सप्ताह की अंतरिम जमानत दी है। अदालत ने यह राहत उनके स्वास्थ्य कारणों और इलाज की आवश्यकता को देखते हुए प्रदान की।
भीमा-कोरेगांव केस: सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकर्ता महेश राऊत को 6 हफ्ते की अंतरिम जमानत दी, स्वास्थ्य आधार पर राहत
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता महेश राऊत को चिकित्सा आधार पर 6 सप्ताह की अंतरिम जमानत प्रदान की।
जस्टिस एम.एम. सुंदरश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह आदेश उस समय पारित किया जब राऊत के वकील ने अदालत को बताया कि वह रूमेटॉइड आर्थराइटिस से पीड़ित हैं और तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है।
यह मामला उस याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दायर किया था। एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 21 सितंबर 2023 को राऊत को दिए गए जमानत आदेश को रद्द करने की मांग की थी।
राऊत के वकील ने अदालत को बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें मेरिट के आधार पर जमानत दी थी, लेकिन आदेश पर एक सप्ताह की रोक लगाई थी ताकि एनआईए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की अपील पर इस रोक को कई बार बढ़ाया।
एनआईए की ओर से पेश वकील ने राऊत की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि वह माओवादी संगठनों की फंडिंग में शामिल थे। हालांकि, राऊत की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति और हाईकोर्ट के आदेश को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 6 सप्ताह के लिए अंतरिम राहत प्रदान की।
महेश राऊत जून 2018 में गिरफ्तार किए गए थे और वर्तमान में तळोजा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि 2018 में पुणे के पास कोरेगांव भीमा गांव में हुई हिंसा के पीछे उन भाषणों की भूमिका थी जो प्रतिबंधित संगठन CPI (Maoist) से जुड़े कार्यक्रम में दिए गए थे।
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