‘दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट का आदेश: विधवा को ससुराल में रहने की अनुमति, रखरखाव से इनकार’

Delhi’s Karkardooma Court order: Widow allowed to live in in-laws’ house, maintenance denied’

कड़कड़डूमा कोर्ट ने ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम’ के तहत एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक विधवा महिला को अपने नाबालिग पुत्र के साथ साझा वैवाहिक घर में रहने की स्वतंत्रता प्रदान की है। अदालत ने ससुराल वालों को बिना विधिक प्रक्रिया के महिला को घर से बाहर निकालने से स्पष्ट रूप से रोका है।

🏠 मामला क्या था?

याचिकाकर्ता महिला का विवाह जिस घर में हुआ था, उसी साझा आवास में वह अपने पति और ससुराल पक्ष के साथ रह रही थीं। उनके पति का निधन नवंबर 2015 में हो गया था। महिला का आरोप है कि वर्ष 2018 में उन्हें ससुराल वालों ने मारपीट कर दहेज की मांग करते हुए घर से बाहर निकाल दिया। महिला और उनके नाबालिग पुत्र को तब से आवास से वंचित कर दिया गया।

🧑‍⚖️ कोर्ट का आदेश:

मुख्य महानगर दंडाधिकारी (महिला अदालत) सोनिका ने 19 जुलाई 2025 को पारित आदेश में कहा:

“अतः, याचिकाकर्ता को अपने नाबालिग पुत्र के साथ उपरोक्त साझा आवास में रहने की स्वतंत्रता है और प्रतिवादियों को बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए याचिकाकर्ता को बेदखल करने से रोका जाता है।”

💰 रखरखाव की मांग पर निर्णय:

हालांकि, अदालत ने महिला की रखरखाव (maintenance) की मांग को अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि पति और ससुराल वालों के बीच किसी भी प्रकार की संयुक्त संपत्ति या व्यवसाय का कोई साक्ष्य याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया

कोर्ट ने कहा:

“संयुक्त/सहपरिवारिक संपत्ति के अभाव में, प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती।”

⚖️ दोनों पक्षों की दलीलें:

  • याचिकाकर्ता के वकील, अधिवक्ता मनीष भदौरिया ने तर्क दिया कि अगस्त 2018 में महिला को केवल पहनावे में ही घर से निकाल दिया गया था। उन्होंने अदालत से निवास और रखरखाव की राहत देने की मांग की।
  • वहीं प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता प्रवीण गोस्वामी ने दावा किया कि महिला के साथ कोई क्रूरता नहीं की गई और याचिका में लगाए गए आरोप “सामान्य और अस्पष्ट” हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उत्पीड़न के लिए कोई दिनांक या समय नहीं बताया गया है।
ALSO READ -  उच्च न्यायालयों द्वारा शीर्ष न्यायलय के बाध्यकारी दृष्टांतों का पालन नहीं करना 'संविधान के अनुच्छेद 141' के विपरीत - SC

📌 मामला: घरेलू हिंसा अधिनियम, साझा वैवाहिक घर में रहने का अधिकार
📌 कोर्ट: मुख्य महानगर दंडाधिकारी (महिला), कड़कड़डूमा, दिल्ली
📌 तारीख: 19 जुलाई 2025
📌 महत्वपूर्ण आदेश:

  • महिला को पुत्र सहित ससुराल में रहने की अनुमति
  • ससुराल वालों को बिना विधिक प्रक्रिया के बेदखली से रोका गया
  • संयुक्त संपत्ति के अभाव में भरण-पोषण से इनकार

Leave a Comment