‘अपनों से बेगाने’: रोहिणी अदालत ने मां की संपत्ति पर कथित अवैध कब्जे के मामले में बेटे को ज़मानत दी, जज ने लिखा शायरी में आदेश

Judge writes order in shayari grants bail to son in case of alleged illegal possession of mother’s property


दिल्ली की रोहिणी अदालत में एक ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने सिर्फ कानूनी निष्कर्षों तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि पारिवारिक विवाद के दर्द को बयां करते हुए एक शायरी भी लिखी। आदेश में कहा गया:

“Milkiyat ki jang me naa jaane kitne afsane huye,
Kuch hi apne the, woh bhi ab begane huye.”


🏠 विवाद की पृष्ठभूमि:

शिकायतकर्ता इंदु सैनी ने अपने बेटे नितिन सोनी और बहू के खिलाफ प्रशांत विहार पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि उनकी अनुपस्थिति में उनके बेटे ने वंदना अपार्टमेंट स्थित संपत्ति का ताला तोड़कर उसमें प्रवेश किया। जब वह 12 जुलाई को कोर्ट से लौटकर आयीं, तो बेटा घर के अंदर था और उन्हें अपशब्द कह रहा था।

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि बहू ने लोहे की रॉड से उन्हें मारा।


🧾 अदालत के समक्ष बचाव पक्ष की दलीलें:

  • अवैध कब्जे का मामला नहीं है। शिकायतकर्ता ने ही मौखिक रूप से संपत्ति का कब्जा बेटे को दिया था।
  • कुछ फोटोग्राफिक सबूत प्रस्तुत किए गए, जो दर्शाते हैं कि आरोपी परिवार 10 जुलाई से पहले से ही संपत्ति में रह रहा था।
  • CCTV फुटेज (14 जुलाई) अदालत के सामने पेश किया गया, जिसमें शिकायतकर्ता की बेटी अन्य व्यक्तियों के साथ हाथ में रॉड और हथौड़े लेकर संपत्ति में प्रवेश करती दिखी।
  • आरोपी के वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता पुलिस की मिलीभगत से उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही हैं।
  • यह भी तर्क दिया गया कि एक वसीयत (Will) में उक्त संपत्ति आरोपी के नाम छोड़ी गई है और उस पर प्रोबेट याचिका विचाराधीन है।
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⚖️ अदालत का निर्णय:

प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित कुमार ने CCTV फुटेज और दोनों पक्षों की दलीलों को देखने के बाद माना कि यह संपत्ति का पारिवारिक विवाद प्रतीत होता है, जिसमें तत्काल गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं बनती।

अदालत ने आरोपी नितिन सोनी को ₹5000 के मुचलके पर सामान्य ज़मानत (regular bail) प्रदान की।


📌 कानूनी और सामाजिक महत्व:

  • पारिवारिक संपत्ति विवादों में सीधे आपराधिक दृष्टिकोण अपनाने के बजाय न्यायिक विवेक का उपयोग आवश्यक है।
  • अदालतों द्वारा सीसीटीवी और डिजिटल साक्ष्य का मूल्यांकन बढ़ता हुआ चलन है।
  • यह आदेश दर्शाता है कि भावनात्मक पहलुओं को भी न्यायिक प्रक्रिया में जगह दी जा सकती है, विशेष रूप से जब वह पारिवारिक संबंधों से जुड़ा हो।

मामला: इंदु सैनी बनाम नितिन सोनी | रोहिणी अदालत, दिल्ली | आदेश दिनांक: 12 जुलाई 2025
न्यायिक अधिकारी: प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (JMFC) रोहित कुमार

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