सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम आदेश दिया। अदालत ने ‘वक्फ-बाय-यूज़र’ प्रावधान हटाने पर रोक से इनकार करते हुए कहा कि यह मनमाना नहीं है और इसका उद्देश्य सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकना है।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन 2025 में ‘यूज़र से वक्फ’ खत्म करने पर रोक से किया इनकार
नई दिल्ली, सोमवार। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके तहत ‘वक्फ-बाय-यूज़र’ की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है। अदालत ने कहा कि इस प्रावधान को हटाना प्रथमदृष्टया मनमाना नहीं कहा जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश सीजेआई बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ए. जी. मसीह की पीठ ने कहा कि यदि 2025 में संसद यह पाती है कि ‘यूज़र से वक्फ’ के कारण बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण हुआ है और इसे रोकने के लिए यह प्रावधान हटाया गया है, तो इसे मनमाना नहीं माना जा सकता।
‘यूज़र से वक्फ’ क्या है?
‘वक्फ-बाय-यूज़र’ वह अवधारणा है जिसके तहत किसी संपत्ति को बिना औपचारिक वक्फ डीड (dedication deed) के भी लंबे समय तक धार्मिक या सार्वजनिक उपयोग से वक्फ माना जाता था। 2025 संशोधन ने वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 3(र)(i) को हटाकर इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस प्रावधान को हटाने से सदियों पुराने कई वक्फ प्रभावित होंगे, जिनके पास कोई औपचारिक पंजीकरण डीड नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
- अदालत ने कहा कि 1923 से ही वक्फ पंजीकरण आवश्यक था। यदि 102 वर्षों तक मुतवल्ली वक्फ पंजीकृत नहीं करवा सके, तो अब वे यह नहीं कह सकते कि नया प्रावधान मनमाना है।
- अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह संशोधन प्रतिगामी (retrospective) नहीं है और केवल भविष्य (prospective) के लिए लागू होगा।
- आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को तब अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा जब राज्य वक्फ बोर्ड ने सरकारी ज़मीन को वक्फ घोषित कर दिया था।
अन्य विवादित प्रावधानों पर फैसला
- धारा 36 (पंजीकरण अनिवार्यता): रोक से इनकार। कोर्ट ने कहा कि पंजीकरण की शर्त पहले से कानून में थी।
- धारा 3D (प्राचीन स्मारक भूमि पर वक्फ अमान्य): रोक से इनकार। कोर्ट ने कहा कि इससे धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता।
- धारा 3E (जनजातीय भूमि पर वक्फ निषिद्ध): रोक से इनकार। कोर्ट ने माना कि यह प्रावधान अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा के लिए है।
निचोड़
अदालत ने कहा कि ‘वक्फ-बाय-यूज़र’ को खत्म करने और पंजीकरण की सख्ती को मनमाना नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण को रोकना है। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मामला अभी अंतरिम चरण में है और अंतिम सुनवाई आगे होगी।
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