सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपभोक्ता मंच शिकायत से परे जाकर नए आधार पर फैसला नहीं कर सकते। कोर्ट ने डॉक्टर और नर्सिंग होम पर लापरवाही के आरोप खारिज करते हुए NCDRC और SCDRC के आदेश रद्द कर दिए।
सुप्रीम कोर्ट: उपभोक्ता मंच नई दलील गढ़कर डॉक्टर पर लापरवाही का ठप्पा नहीं लगा सकते
नई दिल्ली, 10 सितम्बर 2025 — सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें एक डॉक्टर को प्रसव-पूर्व देखभाल (Antenatal Care) में लापरवाह ठहराया गया था। अदालत ने कहा कि उपभोक्ता मंच अपनी सीमा से परे जाकर शिकायत में न उठाए गए मुद्दों पर फैसला नहीं कर सकते।
मामला क्या था?
- मृतक महिला के पति ने डिलीवरी और उसके बाद की देखभाल में लापरवाही का आरोप लगाते हुए नर्सिंग होम और डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
- राज्य उपभोक्ता आयोग (SCDRC) ने दोनों को दोषी मानते हुए मुआवज़ा दिया।
- NCDRC ने नर्सिंग होम को बरी किया लेकिन डॉक्टर को इस आधार पर दोषी ठहराया कि उसने मानक प्रसव-पूर्व जांचें सुनिश्चित नहीं कीं।
- यह आधार शिकायत में कभी उठाया ही नहीं गया था।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा:
- “NCDRC ने मामला ही बदल दिया। शिकायत केवल प्रसव और उसके बाद की लापरवाही पर थी, लेकिन आयोग ने प्रसव-पूर्व देखभाल को आधार बनाकर डॉक्टर को दोषी ठहराया।”
- “निर्णय केवल उन्हीं तथ्यों और दलीलों पर आधारित होना चाहिए जो पक्षकारों ने प्रस्तुत किए हों।”
कोर्ट ने Trojan & Co. v. Nagappa Chettiar (1953) का हवाला देते हुए दोहराया कि कोई भी निर्णय केवल पक्षकारों की दलीलों पर आधारित होना चाहिए, न कि नए आधारों पर।
साथ ही, कोर्ट ने Jacob Mathew v. State of Punjab और Martin F. D’Souza v. Mohd. Ishfaq के फैसलों को उद्धृत करते हुए कहा कि कभी-कभी डॉक्टर का उपचार असफल हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर असफलता को चिकित्सा लापरवाही मान लिया जाए।
मेडिकल बोर्ड की राय
विभिन्न मेडिकल बोर्ड्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इलाज में कोई गंभीर लापरवाही नहीं हुई थी। इसके बावजूद NCDRC ने संभावित पूर्व-स्थित बीमारी को आधार बनाकर डॉक्टर को दोषी ठहराया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
📑 केस ब्रीफ – Deep Nursing Home and Another v. Manmeet Singh Mattewal and Others
तत्व | विवरण |
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मामले का विषय | मेडिकल नेग्लिजेंस (Medical Negligence) – प्रसव और प्रसवोत्तर देखभाल में कथित लापरवाही |
पक्षकार | अपीलकर्ता: Deep Nursing Home & Dr. Kanwarjit Kochhar प्रतिवादी: Manmeet Singh Mattewal (पति/शिकायतकर्ता) |
पृष्ठभूमि | शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि पत्नी और नवजात की मृत्यु प्रसवोत्तर लापरवाही के कारण हुई। |
SCDRC का निर्णय | नर्सिंग होम और डॉक्टर दोनों को लापरवाह मानते हुए मुआवज़ा देने का आदेश। |
NCDRC का निर्णय | नर्सिंग होम को बरी किया। डॉक्टर को प्रसव-पूर्व देखभाल (Antenatal Care) में कथित लापरवाही के आधार पर दोषी ठहराया। |
सुप्रीम कोर्ट में अपील | डॉक्टर और नर्सिंग होम ने तर्क दिया कि NCDRC ने शिकायत से बाहर जाकर नया आधार गढ़ लिया। |
मुख्य मुद्दा | क्या उपभोक्ता मंच (Consumer Foram) शिकायत में न उठाए गए मुद्दे (Antenatal Negligence) पर फैसला कर सकते हैं? |
सुप्रीम कोर्ट का अवलोकन | – निर्णय केवल दायर की गई शिकायत और दलीलों तक सीमित होना चाहिए। – NCDRC ने अपनी सीमा से बाहर जाकर “नया केस” खड़ा कर दिया। – मेडिकल बोर्ड्स की रिपोर्ट में भी कोई गंभीर लापरवाही नहीं पाई गई। |
निर्णय | – NCDRC और SCDRC दोनों के आदेश रद्द। – शिकायत खारिज। – मुआवज़े की राशि वापस लौटाने का निर्देश। |
कानूनी सिद्धांत | – Trojan & Co. v. Nagappa Chettiar (1953): कोर्ट केवल वही तय करेगा जो pleadings में है। – Jacob Mathew v. State of Punjab और Martin F. D’Souza v. Mohd. Ishfaq: हर असफल इलाज मेडिकल नेग्लिजेंस नहीं होता। |
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- NCDRC और SCDRC दोनों के आदेश रद्द।
- शिकायत खारिज।
- मुआवज़े की वह राशि जो मुकदमे के दौरान शिकायतकर्ता ने प्राप्त की थी, उसे किस्तों में लौटाने का निर्देश।
केस टाइटल
Deep Nursing Home and Another v. Manmeet Singh Mattewal and Others
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