दिल्ली हाई कोर्ट: गांव का तलाकनामा मान्य नहीं, हिंदू विवाह खत्म करने का तरीका केवल कोर्ट से तलाक

📌दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह केवल गांव या गवाहों के सामने लिखे गए तलाकनामा से समाप्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने CISF कॉन्स्टेबल की याचिका खारिज करते हुए दोहराया कि विवाह तोड़ने का वैध तरीका केवल अदालत से तलाक लेना है।

👉 दिल्ली हाई कोर्ट: गांव का तलाकनामा मान्य नहीं, हिंदू विवाह खत्म करने का तरीका केवल कोर्ट से तलाक

Delhi High Court: Village divorce deed is not valid, only way to end Hindu marriage is divorce through court

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा कि हिंदू विवाह केवल गांव के समझौते या गवाहों के सामने लिखे गए तलाकनामा से समाप्त नहीं किया जा सकता। विवाह तोड़ने का एकमात्र वैध तरीका है—अदालत से विधिक प्रक्रिया द्वारा तलाक लेना।

मामला क्या था?

यह मामला केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक कॉन्स्टेबल से जुड़ा था। उसे पहली शादी रहते दूसरी शादी करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया।

कॉन्स्टेबल ने दलील दी कि उसने अपनी पहली पत्नी से शादी 15 अक्टूबर 2017 को गांव के लोगों और गवाहों के सामने लिखे गए “तलाकनामा” से खत्म कर ली थी।

कोर्ट का अवलोकन

न्यायमूर्ति हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा—

  • हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act, 1955) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो गांव या गवाहों के सामने लिखे गए दस्तावेज से विवाह विच्छेद (dissolution) को मान्यता देता हो।
  • विवाह तोड़ने का एकमात्र तरीका है कानूनी प्रक्रिया द्वारा कोर्ट से तलाक।
  • CISF नियमावली 2001 का नियम 18 साफ कहता है कि यदि पहली पत्नी जीवित है, तो दूसरी शादी नियमों का उल्लंघन है।
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कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?

हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि—

  • याचिकाकर्ता का “गांव तलाकनामा” कानूनी दृष्टि से अमान्य है।
  • पहले बाजीर सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहत केवल इसलिए दी थी क्योंकि कर्मचारी ने लंबी सेवा की थी।
  • मौजूदा मामले में कॉन्स्टेबल ने इतनी लंबी सेवा भी नहीं की, इसलिए बर्खास्तगी सही है।

नतीजा

हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और कॉन्स्टेबल की बर्खास्तगी को बरकरार रखा। अदालत का यह फैसला हिंदू विवाह अधिनियम की कानूनी प्रक्रिया की अनिवार्यता को दोहराता है और यह साफ करता है कि परंपरागत “गांव तलाक” विधि से विवाह समाप्त नहीं किया जा सकता।


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