सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दोषी नहीं, हत्या और दुष्कर्म मामले में मौत की सजा प्राप्त दोषी बरी

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 के लखनऊ दुष्कर्म और हत्या मामले में दो दोषियों को बरी कर दिया, जिसमें एक को मौत की सजा दी गई थी। कोर्ट ने कमजोर जांच और प्रक्रियात्मक चूक पर कड़ी टिप्पणियां कीं।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दोषी नहीं, हत्या और दुष्कर्म मामले में मौत की सजा प्राप्त दोषी बरी

Supreme Court’s historic verdict: Not guilty, death row convict in murder and rape case acquitted

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दोषी नहीं, हत्या और दुष्कर्म मामले में मौत की सजा प्राप्त दोषी बरी

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में लखनऊ के 2012 के दुष्कर्म और हत्या के मामले में दो दोषियों को बरी कर दिया, जिनमें से एक को मौत की सजा दी गई थी। यह मामला विशेष रूप से जांच की खामियों और कोर्ट प्रक्रिया में गंभीर चूकों के कारण चर्चा में है।

मामले का पृष्ठभूमि
यह घटना सितंबर 2012 की है, जब 12 वर्षीय लड़की लापता हो गई थी और बाद में उसकी नग्न लाश एक खेत में मिली। मामले में पुलिस ने कई साक्ष्य इकट्ठा किए थे, जिसमें रक्तरंजित कपड़े और अन्य सामान शामिल थे। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि जांच और साक्ष्यों में गंभीर कमियां थीं, जिनसे मामले की पूरी मजबूती कमजोर हो गई।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
तीन सदस्यीय बेंच ने पाया कि मामले में खामियों के कारण दोषियों की सजा को चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट ने विशेष रूप से जांच में गंभीर चूक और साक्ष्य की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। इनमें से प्रमुख थे:

  • जांच में खामियां: खून के नमूनों के लिए चेन ऑफ कस्टडी की कमी और डीएनए DNA रिपोर्ट में विसंगतियां।
  • गवाही में असंगतियां: अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही आपस में मेल नहीं खाती थी।
  • साक्ष्य की विश्वसनीयता: डॉग स्क्वाड और प्लास्टिक कंघी से जुड़ी गवाही को संदिग्ध माना गया।
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कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल संदिग्ध परिस्थितियों में किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि उन परिस्थितियों को सिद्ध न किया जाए। इस मामले में, कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने अन्य संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज नहीं किया, जिससे दोषियों को बरी किया गया।

मुख्य बिंदु:

  1. जांच की कमियां: अभियोजन पक्ष द्वारा खून के नमूनों की सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिससे डीएनए रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया।
  2. गवाहों की असंगत गवाही: अभियोजन पक्ष के गवाहों ने एक जैसी गवाही नहीं दी, जिससे मामले की मजबूती कमजोर हो गई।
  3. संदिग्ध परिस्थितियां: केवल संदिग्ध परिस्थितियों से आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
  4. आपराधिक प्रक्रिया में चूक: जांच अधिकारियों ने मृतका के शव के आसपास के क्षेत्रों में किसी भी गवाह से संपर्क नहीं किया, जिससे मामले में संदेह पैदा हुआ।

मामला शीर्षक: पुताई बनाम राज्य उत्तर प्रदेश (क्रिमिनल अपील संख्या 36-37/2019, निर्णय 26-08-2025)

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