‘ओडिशा HC का आदेश: सब-रजिस्ट्रार मौखिक रूप से दस्तावेज़ अस्वीकार नहीं कर सकता’

ओडिशा हाईकोर्ट ने कहा कि सब-रजिस्ट्रार मौखिक रूप से पंजीयन के लिए प्रस्तुत दस्तावेज़ अस्वीकार नहीं कर सकता। यदि दस्तावेज़ विधिसम्मत न हो तो लिखित कारणों सहित अस्वीकृति आदेश देना अनिवार्य है। मामला Amir Kumar Darjee v. District Sub-Registrar से जुड़ा है।

‘ओडिशा HC का आदेश: सब-रजिस्ट्रार मौखिक रूप से दस्तावेज़ अस्वीकार नहीं कर सकता


Legal Today Report: ओडिशा हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में स्पष्ट किया कि सब-रजिस्ट्रार मौखिक रूप से पंजीयन हेतु प्रस्तुत दस्तावेज़ को अस्वीकार नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि यदि दस्तावेज़ कानून के अनुरूप नहीं है, तो सब-रजिस्ट्रार को लिखित कारणों के साथ अस्वीकृति आदेश पारित करना होगा।

मामला अमीर कुमार डार्जी बनाम डिस्ट्रिक्ट सब-रजिस्ट्रार, बोलांगीर [W.P.(C) No.17979 of 2025] से संबंधित है। याचिकाकर्ता ने सब-रजिस्ट्रार, बोलांगीर द्वारा मौखिक रूप से बिक्री विलेख (Sale Deed) स्वीकार करने से इंकार किए जाने पर हाईकोर्ट का रुख किया था।


कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां

  • जस्टिस ए.सी. बेहरा की एकलपीठ ने कहा कि पंजीयन अधिनियम, 1908 और ओडिशा पंजीयन नियम, 1988 के तहत सब-रजिस्ट्रार पर यह वैधानिक दायित्व है कि वह प्रस्तुत दस्तावेज़ को स्वीकार करे और कानूनसम्मत जांच के बाद ही उसे पंजीकृत करे या फिर लिखित कारणों के साथ अस्वीकृत करे।
  • अदालत ने North East Infrastructure (P) Ltd. v. State of Andhra Pradesh का हवाला दिया, जिसमें यह सिद्धांत रखा गया कि रजिस्ट्रार मौखिक रूप से दस्तावेज़ स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकता।
  • धारा 71, पंजीयन अधिनियम, 1908 स्पष्ट रूप से कहती है कि रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी प्रस्तुत दस्तावेज़ को प्राप्त करेगा और फिर उसे पंजीकृत करेगा या अस्वीकृति का आदेश देगा।
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हाईकोर्ट का निर्देश

अदालत ने सब-रजिस्ट्रार, बोलांगीर को निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता बिक्री विलेख के साथ इस निर्णय की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करता है, तो उसे स्वीकार किया जाए और पंजीयन अधिनियम तथा 1988 नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाए।

याचिका को इसी आधार पर निस्तारित कर दिया गया।


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