दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोनिया गांधी के खिलाफ 1980 में भारतीय नागरिकता से पहले वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के कथित फर्जीवाड़े पर दाखिल शिकायत पर आदेश सुरक्षित रखा है। शिकायतकर्ता ने FIR और जांच की मांग की।
सोनिया गांधी के खिलाफ वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने पर दिल्ली कोर्ट में फैसला सुरक्षित
मामला क्या है?
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ दर्ज शिकायत पर बुधवार को आदेश सुरक्षित रख लिया। आरोप है कि 1980 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर लिया गया था।
मामले की सुनवाई एसीजेएम वैभव चौरसिया ने की। शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने दलील दी कि जनवरी 1980 में सोनिया गांधी भारतीय नागरिक नहीं थीं, फिर भी उनका नाम नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज किया गया।
शिकायतकर्ता की दलील
नारंग ने कहा, “अगर वह भारतीय नागरिक नहीं थीं तो नाम कैसे शामिल हो गया? बाद में उनका नाम हटा दिया गया, जो बताता है कि पहले नाम दर्ज करना अनियमित था। इसके बाद 1983 में फिर नाम शामिल हुआ, जबकि नागरिकता उसी वर्ष अप्रैल में मिली।”
शिकायत के अनुसार, सोनिया गांधी मूल रूप से इटली की नागरिक थीं और 30 अप्रैल 1983 को उन्हें भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5 के तहत पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता मिली।
आरोप और कानूनी पृष्ठभूमि
शिकायतकर्ता का कहना है कि वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए “फर्जी दस्तावेज़” प्रस्तुत किए गए होंगे, जिससे एक सार्वजनिक प्राधिकरण को गुमराह किया गया और यह धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।
नारंग ने यह भी बताया कि दिल्ली पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन कार्रवाई न होने पर अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
इस याचिका में एफआईआर दर्ज कर जांच कराने की मांग की गई है।
पूर्ववर्ती न्यायिक संदर्भ
याचिका में 1985 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले (राकेश सिंह बनाम सोनिया गांधी) का हवाला दिया गया है। उस समय अदालत ने माना था कि सोनिया गांधी को 30 अप्रैल 1983 को नागरिकता मिली थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर यह स्थिति है, तो 1981-82 में वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होना अवैध था।
👉 अदालत जल्द ही इस मामले पर आदेश सुनाएगी।
